For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

22 22 22 22
केले की है महिमा,भाई
उसकी होती देख बड़ाई।1

कच्चा, सब्जी में आ जाता
पक जाये फिर गटको भाई।2

छिलके दूर कहीं रखना जी,
पाँव पड़ें, तो राम दुहाई।3

कब्ज हरेगा, रक्त बढ़ेगा,
लौह करेगा तन, हरषाई।4

बाबाजी ने गज्ल बनायी
गाते चलते महिमा भाई।5

नाम न आने पर देखा है
सोमूजी रहते छड़िआई।6

बाल बचे जो,वे लहरायें,
छतरी ओढ़े टकलू नाई।7
@मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1153

Replies to This Discussion

केले की महिमा को केले की विशेषताओं के इर्द-ग़िर्द ही रहने देना था. रचना सुन्दर बन पड़ी है. लेकिन ग़ज़ल कहने और तदनुरूप बरतने के फेर में कथ्य के लिहाज़ से प्रस्तुति नियत नहीं रह पायी है. जबकि बाल-रचनाओं के लिए ऐसा होना आवश्यक हुआ करता है. ऐसा ही होना ही चाहिए. और विधा चाहे ग़ज़ल की ही हो, विधा का नाम दे देने बाल-रचनाओं में अनावश्यक गंभीरता आ जाती है. जबकि इन रचनाओं का उद्येश्य बच्चे हुआ करते हैं. वैसे रचना के तौर पर यह प्रस्तुति मनभावन बन पड़ी है. इसके लिए दाद तो बनती ही है.

हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें, आदरणीय मनन जी. 

आदरणीय सौरभ जी,स्नेहिल सुझाओं से कृतार्थ हूँ।आपकी प्रेरणा मेरे लिए अमूल्य है।रही बात गजल और नाम वगैरह की,तो यह रचना महिमा(पोती)की फरमाईश का नतीजा है।अतः,रचना के क्रम में स्वतः ही ये सब घटित हुए हैं,अलग सेकोई आयास नहीं किया गया है,सादर।पुनश्च, बहुत बहुत आभारी हूँ।

आदरणीय मेरे कहे का तात्पर्य यह है कि इस रचना की विधा अवश्य ग़ज़ल विन्यास पर आधारित है. लेकिन शीर्षक ’केलेकी महिमा’ होने से इस रचना को शीर्षक तक केन्द्रित रखना श्रेयस्कर था. साथ ही, शीर्षक में ग़ज़ल आदि लिखने की कोई सार्थक आवश्यकता महसूस नहीं होती. 

वैसे इसमें संदेह नहीं है, कि आपकी यह रचना बाल-मनोविज्ञान को संतुष्ट कर पाने में सक्षम है. 

जी आदरणीय, आपकी भावनाओं से अभिभूत हूँ।
पाँच बसंतों की महिमा मेरी गजलें सुनकर याद कर लेती हैं,मुझे सुनाती भी हैं।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service