For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मात्रा विन्यास-
१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

अभी भी याद आती हैं, सुहानी शाम की बातें।
बड़े ही चाव से करना, बिना वो काम की बातें।
कहा तुमने बहुत हमसे, सुना हमने बहुत लेकिन।
अधूरी आज भी चुभती, बिना अंजाम की बातें।

घने बरगद तले अपना, भरी वो दोपहर मिलना।
पसीने से सने चेहरे, दुपट्टे से हवा करना।
किया वादा तो पूरी पर, अधूरी आस थी अब भी।
जुदाई की घड़ी आयी, हथेली खीझ कर मलना।

चले चर्चा कोई जब भी, तेरा ही नाम आता है।
भुलाता हूं तुझे लेकिन, सुबह ओ शाम आता है।
अधूरे प्यार का किस्सा, अभी हिस्सा है यादों का।
कसम वो तीसरी तेरी, मरा गुलफाम जाता है।

चली दिल पर मेरे छूरी, शहादत पा गये हम तब।
तड़पता छोड़ कर मुझको, गये वो मुस्कुरा कर जब।
बिना उनके लगे सूना, कदम बढ़ते नहीं आगे।
नहीं मालूम मुझको है, दुबारा कब मिलेंगे अब।

बहुत मायूस दिन था वो, नहीं मैं मिल सका उनसे।
हुआ मुझसे ही धोखा ये, नहीं कोई गिला रब से।
अगर उनसे मिला होता, परेशां वो नहीं होते।
मुवाफी दीजिए हमको, खतां होगी नहीं अब से।

खुमारी सी रही तारी, नशा सा छा गया मुझ पर।
बढ़ी दिल की मेरे धड़कन, हुआ तन में अजब सरसर।
जमीं पर पांव ना टिकते, गगन में घूमता मानो।
हुआ दीदार जब उनका, समय भी रुक गया पल भर।

सभी उपमान फीके हैं, तुम्हारे रूप के आगे।
तपिश दीपक की जैसे हो, दहकते धूप के आगे।
नहीं ऐसा कोई पार्लर, संवारे रूप जो तेरा।
परियां भी लगे फीकी, मेरे महबूब के आगे।

परिंदा प्यार का यारों, मेरा मन शायराना है।
बुनूं मैं नीड़ शब्दों का, वहीं दुनिया बसाना है।
अगर तुम आ सको आओ, क्षितिज तक हम उड़ेंगे।
मुहब्बत-पंख की ताकत, हमें भी आजमाना है।

बहुत वो खूबसूरत था, तुम्हारा साथ ऐ हमदम।
कहें दो चार पल की क्या, हमें सौ साल लगते कम।
मिले मौका गुजारें हम, वहीं कुछ उम्र तक रुक कर।
जुदा होने की बातें सुन, हुई थी आंख अपनी नम।

कहूं मैं बात क्या मन की, है मेरा मन नहीं मेरा।
हुआ वश में तुम्हारे ये, है जादू कौन सा फेरा।
दशा मेरी है पागल सी, नहीं कुछ सूझता मुझको।
दिखे हर एक कण में ही, सलोना रूप वह तेरा।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 671

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 1, 2017 at 10:12pm
आदरणीय आशीष जी सादर आभार
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on April 1, 2017 at 10:11pm
आदरणीय मो. आरिफ सर, सादर आभार
Comment by आशीष यादव on April 1, 2017 at 2:37pm
बहुत सुंदर । एक दूसरे से बँधे से और मुक्तक भी। बहुत बहुत बधाई
Comment by Mohammed Arif on April 1, 2017 at 2:28pm
आदरणीय विन्ध्येश्वरी प्रसाद जी आदाब, बहुत बेहतरीन मुक्तक । बह्र के संबंध में गुणीजन अपनी राय देंगे । मेरी ओर से ढेरों बधाईयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
40 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
42 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
45 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम चंद गुप्ता जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
47 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई।"
50 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
52 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
54 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और दाद-ओ-तहसीन से नवाज़ने के लिए तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
54 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, सबसे पहले ग़ज़ल पोस्ट करने व सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
59 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल 2122 1212 22..इश्क क्या चीज है दुआ क्या हैंहम नहीं जानते अदा क्या है..पूछ मत हाल क्यों छिपाता…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई अमरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन  के लिए आभार।"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service