For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कब्र जान-ए- आदमी है लिखो पंकज यह घर है- ग़ज़ल

2122 2122 2122 2122
ये भला कैसा प्रहर है, दूर मुझ से हमसफर है
नाम उसका ही जपे मन, खुद से लेकिन बेखबर है

मन्द सी मुस्कान ले कर, नूर बिखराया है किसने
आईने में खुद नहीं मैं, इश्क़ का कैसा असर है

इक दफ़ा ही तो मिलीं थीं, पर खुमारी अब भी बाकी
उम्र भर मदहोश रहना, यूँ नशीली वो नज़र है

सर्द अहसासों का मौसम, तो है पतझड़ बाग़ में
उफ़्फ़, ख्वाबों के झरे पत्ते घिरा बेबस शजर है

कंकरीटों की दीवारों बीच रहता ख़ुश्क कोई
कब्र जाने आदमी है, मत लिखो पंकज ये घर है

मौलिक अप्रकाशित

Views: 801

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 14, 2017 at 7:53pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी सर सादर आभार प्रेषित है
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 14, 2017 at 7:53pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी सर सादर आभार प्रेषित है
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2017 at 11:40am

आ. पंकज भाई जी , बहुत अच्छी गज़ल कही है दिल से बधाइयाँ, स्वीकार कीजिये ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 2, 2017 at 9:28am
आदरणीय गिरिराज सर सादर प्रणाम, सुझाव बहुत बढ़िया है।।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 2, 2017 at 9:28am
आदरणीय आरिफ़ भाई जान बहुत बहुत आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 2, 2017 at 9:15am

आदरणीय पंक्कज भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है दिल से बधाइयाँ प्रेषित हैं , स्वीकार कीजिये ।

इक दफ़ा ही तो मिलीं थीं, पर खुमारी अब भी बाकी   -- 

इक दफ़ा ही तो मिलीं थीं, पर खुमारी है अभी तक       --- गेयता में अंतर देखियेगा , अगर सही लगे तो स्वीकार कीजिये ।

Comment by Mohammed Arif on February 1, 2017 at 5:10pm
आदरणीय पंकज कुमारजी, अच्छी ग़ज़ल । दाद के साथ मुबारक़बाद ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 31, 2017 at 10:50pm
आदरणीय हिमांशु जी सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 31, 2017 at 10:50pm
आदरणीय हिमांशु जी सादर आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 31, 2017 at 10:50pm
आदरणीय बाऊजी सादर प्रणाम, आपके सुझावानुरूप संशोधन कर दिया है।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय इस मंच पर न कोई उस्ताद है न कोई शागिर्द। यहां सभी समवेत भाव से सीख रहे हैं। यहां गुरु चेला…"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service