For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोपाल में ओबीओ सदस्यों की साहित्य संध्या : एक रिपोर्ट

भोपाल में ओबीओ सदस्यों की साहित्य संध्या : एक रिपोर्ट

 

आज दिनांक 29 जनवरी 2017 को हमारे निवास बागमुगलिया भोपाल में ओपन बुक्स ऑनलाइन ओबीओ सदस्यों की साहित्य संध्या का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता मशहूर शायर जनाब ज़हीर कुरैशी जी द्वारा की गई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री मदन मोहन उपाध्याय जी (आई.ए.एस.) एवं विशिष्ट अतिथि श्री तिलक राज कपूर जी थे. आयोजन में शहर के जाने माने साहित्यकारों की उपस्थिति रही. डॉ. सूर्या बाली ‘सूरज’ (शायर), श्री ऋषि शृंगारी जी (गीतकार), श्री चन्द्रभान राही जी (कवि), श्री अशोक निर्मल जी (गीतकार), श्री हरिवल्लभ शर्मा जी (कवि), श्रीमती सीमा हरि शर्मा जी एवं श्रीमती मंजू “मनीषा” जी की गरिमामय उपस्थिति एवं काव्य पाठ ने आयोजन को समृद्ध किया.

कार्यक्रम के आरम्भ में श्रीमती मंजू “मनीषा” जी द्वारा माँ शारदा की वंदना प्रस्तुत की गई तत्पश्चात काव्य गोष्ठी आरम्भ हुई-

1.श्रीमती मंजू “मनीषा” जी द्वारा कुछ मुक्तक एवं गीत सुनाये गए. उन्होंने पर्यावरण पर एक मुक्तक से अपने काव्य पाठ का आरम्भ किया-

हरे भरे पेड़ जमाने के काम आयेंगे

सूख जाने के बाद जलाने के काम आयेंगे

तुम खंडहर समझ कर मत बेच देना इस मकान को

बुरे समय में सिर छुपाने के काम आयेंगे

2. श्री हरिवल्लभ शर्मा जी द्वारा नव वर्ष के स्वागत में गीत का पाठ किया गया-

 

आइये नववर्ष का

हम आज अभिनन्दन करें

कालगणना संवतों से दूर हम जाने लगे

भूल अपनी सभ्यता हम आंग्ल धुन गाने लगे

3.श्री अभिषेक वामनकर जी युवा रचनाकार की ग़ज़लों एवं अतुकांत की प्रस्तुति को वरिष्ठ जनों द्वारा सराहा गया.  

 

हर शाम फिर सुहानी लिखना

तुम भी एक कहानी लिखना

 

मत पूछो रातों का आलम

सुबह नै आसमानी लिखना

4. श्रीमती सीमा हरि शर्मा जी ने पञ्चचामर छंद एवं ग़ज़ल का रचना पाठ किया –

 

खूबसूरत जिंदगी करनी हो तो बस ये करो

कुछ तुम्हारे सा बनूँ मैं मुझसा तुम भी बनो

साथ तो चलते सभी है जिंदगी की राह में

बात बनती है तभी जब हर कदम मन से चलो

5. मिथिलेश वामनकर – मुझ नाचीज को भी ग़ज़ल और गीत पाठ का सौभाग्य प्राप्त हुआ –

 

गीत लिखो कोई ऐसा जो निर्धन का दुख-दर्द हरे।

सत्य नहीं क्या कविता में, निर्धनता का व्यापार हुआ?

6. डॉ सूर्या बाली ‘सूरज’ जी ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में गज़लें सुनाई-

 

जिंदगी का रंग फीका था मगर इतना न था

इश्क़ में पहले भी उलझा था मगर इतना न था

 

क्या पता था लौटकर वापस नहीं आएगा वो

इससे पहले भी तो रूठा था मगर इतना न था

7.श्री ऋषि शृंगारी जी देश के जाने माने गीतकार हैं. आपकी सुमधुर आवाज़ में गीत सुनना एक सुखद अनुभव होता है-

 

मैं मंदिर में चला आया वो मस्जिद में गया होगा

मैं पूजा ध्यान में बैठा, वो सजदे में रहा होगा

बहुत मुमकिन है वो उस क्षण हमारे साथ भी होगा

मौन में जब समाधि तक कोई झरना बहा होगा

8. श्री अशोक निर्मल जी ने एक गीत का पाठ किया –

 

बाँट जोहता है खूटी पर टंगा टंगा थैला

संख्या के परिमाण से घर की हालत चंगी है.

किन्तु दाम की सदा सदा से देखी तंगी है

सुविधाओं पर बैठ गया है आकर नाग विषैला

9.श्री राम राव वामनकर जी, द्वारा गीत का पाठ किया गया –

 

कर प्रवंचना औरों से फिर चाहता विश्वास, रे ओ बावरे मन 

नक्षत्र उपवन में विचरती तितलियों सी कल्पनाएँ

इन्द्रधनु की डोर पर विष तीर सी धर कामनाएं

महाशून्य में लक्ष्य का मिलता नहीं आभास, रे ओ बावरे मन

 

 

10. श्री तिलक राज कपूर जी द्वारा गज़लें सुनाई गई-

थक गए जब नौजवां ये हल निकाला

फिर से बूढ़ी बातियों में तेल डाला

जो परिन्दें थे नए टपके वही बस

इस तरह बाज़ार को उसने उछाला

11. श्री मदन मोहन उपाध्याय जी द्वारा गीत, ग़ज़ल एवं अतुकांत रचनाओं का पाठ किया गया-

 

आलम को सजाकर तू मेरे ख़त न पढ़ा कर

अहसास जगाकर तू मेरे ख़त न पढ़ा कर

 

तहरीर बदल जाती है मेरे कलाम की

सीने से लगाकर तू मेरे ख़त न पढ़ा कर

12.जनाब ज़हीर कुरैशी साहब की ग़ज़लों ने आयोजन को एक नई उचाईयों पर ले गया-

न कोई आम लगे और न कोई ख़ास लगे

उदास होते ही दुनिया बड़ी उदास लगे

 

सुखों के पेड़ तो उगते हैं पर्वतों पे कहीं

दुखों के पेड़ हमारे ही घर के पास लगे

 

काव्य पाठ के पश्चात् ओबीओ साहित्योत्सव भोपाल 2016 के समापन समारोह में कतिपय कारणों से सम्मिलित नहीं हो सके श्री तिलक राज कपूर जी, श्री ऋषि शृंगारी जी एवं डॉ. सूर्या बाली ‘सूरज’ जी को स्मृति चिन्ह कार्यक्रम के अध्यक्ष महोदय द्वारा प्रदाय किये गए.

आयोजन का सञ्चालन श्री अशोक निर्मल जी एवं श्री चंद्रभान राही जी द्वारा किया गया तथा आभार प्रदर्शन इस नाचीज़ के जिम्मे था. स्वल्पाहार के साथ गरिमामय आयोजन का समापन हुआ. इस आयोजन में ओबीओ भोपाल चैप्टर के त्रैमासिक आयोजन की रुपरेखा भी बनाई गई.

दैनिक सांध्य प्रकाश में प्रकाशित समाचार 

 

Views: 1927

Reply to This

Replies to This Discussion

जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,इस आयोजन के लिये दिल से बधाई स्वीकार करें । क्या आपने इसमें अपनी ग़ज़लें नहीं सुनाई थीं?

आदरणीय समर कबीर जी, हार्दिक धन्यवाद आपका. मैंने हाल ही में लिखी दो गज़लें और एक गीत सुनाया था. सादर 

आदरणीय मिथिलेश भाई , पढ कर बहुत खुशी हुई , और भोपाल से बहुत दूर होने का दुख भी हुआ , अगर पास रहता तो मै ज़रूर उपस्थित होता । सभी प्रतिभागियों को हार्दिक बधाइयाँ एवँ ऐसे ही अगले आयोजन के लिये शुभकामनायें ॥

आदरणीय गिरिराज सर, इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. भोपाल में ओबीओ सदस्यों और अन्य वरिष्ट साहित्यकारों से जुड़ने और जोड़ने के प्रयास के क्रम में यह आकस्मिक आयोजन था. बस लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया. सादर 

आदरणीय वामनकर जी, सहित्य संध्या के सफल आयोजन पर बधाई स्वीकार करें.

हार्दिक धन्यवाद आपका

कामयाब आयोजन की बधाई आ. मिथिलेश जी

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service