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कविता .....माँ का श्राद्ध

कल माँ का श्राद्ध है
पन्द्रहवाँ श्राद्ध
कल उनकी बहु उठेगी
पौ फटते ही पूरा घर करेगी
गंगाजल के पानी से साफ
सुबह सुबह ठंडे गंगाजल मिले पानी से
नहायेगी भी, पहनेगी उनकी  दी हुयी साड़ी
जो उसे पसन्द भी नहीं थी...
फिर पूरा घर बुहारेगी
बनायेगी तरह तरह के पकवान
जो भी माँ को पसन्द थे
पूजा में नतमस्तक हो बैठेगी मन लगा कर
अपने हाथों से खिलायेगी
गाय को पूरी खीर
कौओं को हांक लगा कर बुलायेगी छत पर
फिर खिलायेगी छोटे छोटे कौर
फिर जायेगी किसी गली के लावारिस कुत्ते को ढ़ूढ़ने
उसको भी खिलायेगी देसी घी में बनी पूरी सब्जी
सात पंडितों को बुला कर खिलायेगी
भरपूर भोजन.........
फिर पंडितों के चरण छू कर लेगी आर्शीवाद
आशंका रहती है उसके मन में कुछ
अनिष्ट के होने की.....
जब दक्षिणा देने का समय आयेगा
तब दिलवायेगी उन्हीं के  बेटे से
दान पंडितों को
बच्चों को बुला कर दिलवायेगी शुभाशीष
माँ नहीं है तो इतने आडम्बर....
जब वह जीवित थी तो माँ 
तरसती थी पानी को भी
दवाई और इलाज को भी
कैसा श्राद्ध है यह
आज पंडित जी की थाली में हैं
अनेकों व्यंजन.....
पर माँ मेरी माँ, भूखी और अतृप्त ही  विदा हुयी
इस दुनिया से.....


आभा

अप्रकाशित  एवं  मौलिक 

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Comment

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Comment by pratibha pande on September 23, 2016 at 2:07pm

भावना रहित ढकोसलों को बयाँ करती अच्छी प्रस्तुति ...हार्दिक बधाई प्रेषित है आपको आदरणीया आभा जी 

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:21am

आदरणीया Amita  Tiwari जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका 

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:19am

आदरणीय sushil sarna जी नमस्कार , आपने  मेरी रचना माँ का श्राद्ध को पसंद किया उसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया ...

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:17am

आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी नमस्कार आपकी  मेरी रचना की पसंदगी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका ....

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:16am

आदरणीय शिज्जू ठाकुर जी नमस्कार ,आपने मेरी रचना में जो कमी बताई है उसका मैं आगे से ध्यान रखने कि कोशिश करुँगी आभार आपका 

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:14am

आदरणीय समर कबीर जी आपने मेरी रचना माँ का श्राद्ध को पसंद किया उसके लिए मैं आपकी ह्रदय से आभारी हूँ .इसी तरह स्नेह भाव बनाये रखियेगा ..शुक्रिया ..

Comment by Abha saxena Doonwi on September 23, 2016 at 7:13am

आदरणीय कल्पन्ना भट्ट जी आपने मेरी रचना को पढ़ा  और सराहा उसके लिए मैं आपका हार्दिक अभिनन्दन करती हूँ आभार आपका 

Comment by amita tiwari on September 21, 2016 at 11:48pm

दिल पर लगी 

Comment by Sushil Sarna on September 21, 2016 at 9:15pm
Dil ko chhootee is bhaavpoorn prastuti ke liye haardik haardik badhaaèeeeeeeeeee aadrneeya
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 21, 2016 at 8:08pm
मनःस्थिति को बयान करती सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया आभा जी।

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