For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हर भाषा में कुछ जुमले/कहावतें/मुहावरे प्रयोग किये जाते हैं. हम आपने बुजुर्गों से कई बार ऐसी कहावते सुनते हैं जिन्हें हम नहीं समझ पाते हैं. आज कितनी ही कहावतें लुप्त होने की कगार पर हैं. यह फोरम इसीलिए है की सभी क्षेत्रीय भाषाओँ की कहावतों को हम यहाँ पर एकत्र कर सकते हैं. आप सभी से अनुरोध है की अपनी क्षेत्रीय भाषाओँ की जुमले/कहावतें/मुहावरे अदि यहाँ पर सभी के साथ साझा कर सकते हैं....एक formate मैं यहाँ पर बना रहा हूँ यदि संभव हो तो इसी format मैं लिखें.........धन्यवाद

कहावत:-:
जहां जाये दूला रानी
उहाँ पड़े पाथर पानी
मूल भाषा:-
अवधी
अर्थ/प्रयोग:-
यह कहावत ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयोग की जाती है जिसके जाते ही कोई कार्य बिगड़ने लगता है.

Views: 7484

Reply to This

Replies to This Discussion

कहावत:-
उठा बूढ़ा साँस ल्या
चरखा छोड़ा जांत ल्या
मूल भाषा:-
अवधी
अर्थ/प्रयोग:-
यह कहावत तब कही जाती है जब इतनी व्यस्तता हो कि साँस लेने कि फुर्सत भी ना हो
कहावत:-.
बाप पदहिन ना जाने
पूत शंख बजावे
मूल भाषा:-
अवधी
अर्थ/प्रयोग:-
जब पुत्र किसी कार्य को पिता से अच्छा करने लगे तब इसका प्रयोग करते है
कहावत:-
खावा भात
उड़वा पांत
मूल भाषा:-
अवधी
अर्थ/प्रयोग:-
भात=पकाया हुआ चावल
पांत=पंगत
यह कहावत उसके लिए प्रयोग की जाती है जो फक्कड़ी किस्म का आदमी हो/जो अपनी किसी चीज की चिंता ना करता हो
कहावत:-
तौवा की तेरी
खापडिया की मेरी
मूल भाषा:-
अवधी
अर्थ/प्रयोग:-
तौवा=तवा
खापडिया=मिट्टी की खपड़ी
इसका अर्थ है की सब ख़राब वस्तुएं तुम्हारी और सारी अच्छी मेरी
राणा भाई, बहुत ही सराहनीय शुरुआत किये है, इस प्रकार जो अन्य क्षेत्र के लोग है वो भी एक दूसरे के क्षेत्र मे बोली जाने वाली कहावतो, मुहावरो आदि के बारे मे जान सकेंगे,
इसी क्रम मे मैं भी कुछ कहावतो को लिख रहा हूँ.................

1-कहावत:-
सोना दहाईल जाये,
आ कोईला पर छापा,

मूल भाषा:-
भोजपुरी

अर्थ/प्रयोग:-
अपेक्षाकृत महँगी वस्तु का नुकसान होते देना और कम महत्व / सस्ते वस्तु को बचाना,

2-कहावत:-
बीत भर के लईका,
गज़ भर के ज़ुबान,

मूल भाषा:-
भोजपुरी

अर्थ/प्रयोग:-
कम उम्र के बच्चे को ज़्यादा बोलना ,

3-कहावत:-
बाप मरे अँधियारे,
बेटा क नाम पावर हाउस

मूल भाषा:-
भोजपुरी

अर्थ/प्रयोग:-
अपने औकात से ज़्यादा बढ़ चढ़ कर अपनी बड़ाई करना,

4-कहावत:-
लौकेय के ठेकान ना,
चश्मे चाही,

मूल भाषा:-
भोजपुरी

अर्थ/प्रयोग:-
जो वस्तु की आवश्यकता न हो उसे भी माँग करना,

5-कहावत:-
कमजोर के मेहरारू,
भर गाँव के भौजाई

मूल भाषा:-
भोजपुरी

अर्थ/प्रयोग:-
आसक्त, सीधा साधा,लाचार या ग़रीब व्यक्ति का समान को किसी के द्वारा प्रयोग कर लेना ,

6-कहावत:-
भल मरल,
भल पीलूवा पड़ल

मूल भाषा:-
भोजपुरी

अर्थ/प्रयोग:-
कोई कार्य करने के बाद तुरन्त उसका परिणाम भी आ जाना,
कहावत:-.

लोहा के सस्तई से
सियार गढ़वले टांगा

मूल भाषा:-

भोजपुरी
अर्थ/प्रयोग:-

जब कोई वस्तु आसानी से उपलब्ध हो तो उसका अनावश्यक उपयोग किया जाना ।
कहावत:-
सास मोर अन्हरी
ससुर मोर अन्हरा
जेहसे बियाही उहो चक्चोन्हरा
केकरे पे देई धेपारदार कजरा
मूल भाषा:-
अवधी
अर्थ/प्रयोग:-
चक्चोन्हरा=जिसकी ऑंखें बार बार स्वतः ही बंद होती हो
धेपारदार= मोटा सा
यह कहावत तब प्रयोग की जाती है जब कोई अच्छी वस्तु किसी को देना चाहें पर कोई उसका हक़दार ना मिले
कहावत:-
जानेले चीलम
जिनका चढ़ेला अंगारी

मूल भाषा:-
भोजपुरी

अर्थ/प्रयोग:-
जिसे कष्ट होता है उसे ही उसके बारे में पता चलता है
कहावत:-
मैं सुनरी
मोर पिया सुनरा
गऊवां के लोग
बनरी बनरा
मूल भाषा:-
अवधी
अर्थ/प्रयोग
अपनी और अपने पति के आगे कुछ भी ना दिखाई देना, घमंड में चूर होना
. कहावत:-:
मोर भुखिया मोर माई जाने
कठवत भर पिसान साने
कठवत= आटा गूंथने का बर्तन
पिसान= आटा
मूल भाषा:-
अवधी
अर्थ/प्रयोग:-
बच्चे कि भूख केवल माँ ही समझ सकती है .

1.जैसे उद वैसे भान,  

ना इनके चुन ना उनके कान. 

 

मूल भाषा-अवधी 


दो मूर्ख एक सा व्यवहार करते हैं. 

2.पैसा ना कौड़ी ,बाजार जाएँ दौड़ी. 

मूल भाषा -अवधी 

साधन हीन होने पर भी ख़याली पुलाव पकाना. 

3.जेकरे पाँव ना फटी बेवाई , का जाने पीर पराई. 

मूल भाषा- अवधी 

जिसको कभी दुख ना हुआ हो वो किसी की पीड़ा क्या जाने 

1.गुरु गुड ही रह गयेन ,
चेला चीनी होई गयेन.

 मूल भाषा -अवधी 

 शिष्य गुरु से भी अधिक सफल हो गया.
 
2.सूप बोलै बोलै,
चलनी का बोलै जे मा बहत्तर छेद.

 मूल भाषा- अवधी

 एक बुरे व्यक्ति द्वारा दूसरे बुरे व्यक्ति को दोषी ठहराना. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
21 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
22 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
22 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service