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दिन ढलल आ रात बीतल,
दिन हमार कसहु कटल
करवट बदल बदल के
हमार रात बीतल.
बस तोहरे इन्तेजार में.

हमार जीवन बन गईल
एक अजीब उलझन 
तोहर मीत सबका खातिर
हंसी के पात्र बनल.
बस तोहरे इन्तेजार में.

मौत त हम जब भी चाहतीं 
हमरा के आपन आगोश में
लेवे के तैयार रहे.
लेकिन हम जी रहल बानी
बस तोहरे इन्तेजार में.

--आर के पाण्डेय "राज"
लखनऊ

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Replies to This Discussion

bahut badhiya kavita ba Raj bhaiya
मौत त हम जब भी चाहतीं 
हमरा के आपन आगोश में
लेवे के तैयार रहे.
लेकिन हम जी रहल बानी
बस तोहरे इन्तेजार में.
khubsurat lajabab

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