For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहुत दिनों से मन में यह बात कचोटती है. पिछले कुछ दिनों में अंतर्जाल(इन्टरनेट) पर हिंदी के प्रयोग में बेहिसाब वृद्धि हुई है. ये भविष्य में हिंदी भाषी एवं हिंदी में लिखने वालों के लिए शुभ संकेत है. परन्तु कहीं ना कहीं शुद्ध हिंदी टाइपिंग एक विकट समस्या है. अमूमन यह दिखाई देता है कि लोग मात्राओं की त्रुटियाँ करते हैं. यह बात वैसे ही समझी जा सकती है जैसे कि आप दाल खा रहे हों और आपके मुंह में कंकड़ आ जाये. थोडा सा ध्यान देकर एवं थोडा अध्ययन करके इस समस्या से निजात पाई जा सकती है. आज शायद ही कोई वेब साईट ऐसी हो जहां पर ऐसी त्रुटियाँ ना मिले. मैं चाहता हूँ कि ओपन बुक ऑनललाइन इन त्रुटियों को दूर करने में प्रथम हो. इसके लिए सभी मेम्बर्स के साथ साथ इसके नियंत्रक की भी नज़रेसानी की दरकार है. कोई भी रचना/लेख पोस्ट करने से पूर्व प्रूफ रीडिंग अवश्य करें. यदि फिर भी कोई त्रुटि हो तो फीचर करने से पहले नियंत्रक महोदय भी सुधार कर सकते हैं. यदि ऐसा होगा तो पाठक को अलग ही आनंद की अनुभूति होगी. इस विषय पर अपनी राय अवश्य दें........
_________.धन्यवाद

Views: 1351

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरणीय
एडमिन महोदय

स्पष्ट करना चाहूँगा कि हिंदी टाइपिंग के जितने भी टूल हैं सभी के सभी शुद्ध हिंदी टाइप करने में सक्षम हैं. यदि आप थोड़ा सा अध्ययन करें तब.... ये "चलता है" और "कोई फर्क नहीं पड़ता" वाली मानसिकता से हमें बाहर आना है....जो व्यक्ति अपनी रचना को सुन्दर बनाने में इतना समय लगा सकता है तो वह उसे शुद्ध लिखने में थोड़ा और समय क्यों नहीं लगा सकता है? व्याकरण कि अशुद्धियाँ तो टाइपिंग की मोहताज़ नहीं होती हैं?. लिंगो का विरोधभास कई बार संजीदा रचना में हास्य की उत्पत्ति कर देता है. आशा है आप अन्यथा ना लेंगे.... आपकी टिप्पणी में भी कुछ त्रुटियाँ दृष्टिगोचर होती है... क्यों ना आप से ही प्रारंभ करें............

.
भैस के आगे बिन बजाये भैस करे पगुराई.
मुझे लगता हैं की यही मेरे साथ भी होने वाला हैं. कारन हम भोजपुरी भासी मैं मुझे के जगह पर हमें या हम लिखते हैं. जो सरासर गलत होगा लेकिन मैं कोशिश किया हु ...... बहुत अच्छी सुरुआत ...........
मेरे कमेंट्स मे भी कुछ त्रुटियाँ थी जिसको राणा जी ने बताया और उसे पुनः शुद्ध कर के मैं पोस्ट कर रहा हू ,

राणा जी प्रणाम ,
सबसे पहले तो में आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपने बहुत ही खास मुद्दे को ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच से उठाया है, आपका कहना बिलकुल ज़ायज है, हिंदी टाइपिंग में त्रुटियाँ हो जाती हैं, और अन्य वेब साईट की तरह ओपन बुक्स ऑनलाइन भी उससे अछूता नहीं है,

मैं जहा तक समझता हूँ अधिकतर लोगों को हिंदी सीधे टाइप करना नहीं आती , क्योकि ये बिलकुल अलग सीखने की चीज है जिसे प्रोफेशनल टाईपिस्ट लोग ही करते हैं, अधिकतर ब्लोगर शौकिया लिखते हैं, जो हिंदी लिखने के लिये कोई न कोई टूल का प्रयोग करते हैं, जैसे इस साईट पर भी २ तरह के टूल दिए गए हैं, होता क्या है कि जब हम टूल के माध्यम से हिंदी लिखते हैं तो हम लिखना कुछ चाहते हैं और टूल कुछ और ही लिख देता है, उस शब्द से थोडा मिलता जुलता शब्द लिख जाता है , लिखने वाला भी सोचता है की चलो थोडा गलत ही सही अर्थ तो स्पष्ट हो रहा है न, और यहीं से त्रुटियाँ प्रारंभ होने लगती हैं, यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है, बाकी अन्य मित्रों का अनुभव कुछ और हो सकता है, जिन्हे आप सब लिखना चाहेंगे ,

लेखक महोदय थोडा सा ध्यान दें और टूल पर थोडा अक्षर को इधर उधर कर लिखने का प्रयास करे तो काफ़ी हद तक इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है,

ओपन बुक्स ऑनलाइन के प्रबंधन ग्रुप और प्रधान संपादक जी के पास जो अभी शक्तियां प्राप्त है उसके अनुसार लेख के केवल शीर्षक को ही हम लोग संपादित कर सकते हैं, उनके मूल लेख को नहीं, हां हम लोग लेखक से दूरभाष, चैट और मेल के द्वारा निवेदन जरूर करते हैं कि वो अमुक त्रुटि को स्वयं संपादित कर दें, हां मैं भी मानता हूँ कि हम सब छोटी और कम त्रुटियों को अनदेखा यह सोच कर कर देते हैं कि चलो इस हल्की सी त्रुटि से रचना के भाव पर तो फर्क नहीं पड़ रहा है,
आगे और साथियों के विचार जानने के बाद जरूरत के अनुसार मैं आगे भी अपनी बातो को लिखूंगा,

आप सब का अपना
एडमिन
OBO
प्रिय साथियो,
राणा प्रताप सिंह जी ने भाषा संबंधी एक बहुत ही गंभीर विषय उठाया है जिस पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता है ! इसके कई कारण हैं, सब से मुख्य कारण तो यह कि भाषा और व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध रचना अपना प्रभाव खो देती है और अर्थ के अनर्थ हो जाने की संभावना भी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है ! ऐसी रचनाओं को प्रबुद्ध पाठक भी गंभीरता से नहीं लेते है ! इन सब के इलावा एक और कारण यह भी है कि हमारा मंच अभी घुटनों के बल चल रहे एक नन्हे बालक के समान ही है, कोई भी प्रतिष्ठित साहित्यकार यहाँ आने से पहले यहाँ मौजूद रचनाओं के स्तर को देख पढ़ कर ही कोई निर्णय लेगा अत: हमें गुणवत्ता का ध्यान रखना ही पड़ेगा ! कोई भी रचना इस मंच पर साझा करने से पहले अगर उस को बार बार पढ़ लिया जाये तो ऐसी भाषा और व्याकरण सम्बन्धी त्रुटियों का हम स्वयं पता लगा सकते हैं ! और मेरे विचार से अगर रचना पर किसी वरिष्ठ की राय भी ले ली जाये तो कोई हर्ज़ नही ! आखिर हम सब साहित्य के छात्र ही तो हैं, और एक दूसरे के अनुभवों से सीखने का प्रयास कर रहे हैं ! मैं इस विषय में सब साथियों की राय का इंतज़ार करूँगा !
आदरणीय प्रधान संपादक (OBO) श्री योगराज प्रभाकर जी , आप की बातो से मैं पूरी तरह से सहमत हू , इस परिवार के सभी सदस्य शिष्य भी है और गुरु भी ,एक दुसरे को मदद कर हम सभी इस परिवार को सफलता के तरफ अग्रसारित कर सकते है,
मैं प्रभाकर जी के कथन से अक्षरश: सहमति रखता हूँ. जिस ब्रान्डिंग की बात व्यावसायिक जगत करता है वो बहुत हद तक किसी भी नये प्रयोजन पर हूबहू लागू होती है. यह साइट एक उभरता हुआ मंच है और हम सभी को इसे सफल बनाने के लिए अथक प्रयास करने की आवश्यकता है.

अच्छी रचनाओं का तो वैसे भी अंतरजाल पर अकाल सा ही पड़ा रहता है. इस मंच ने जो स्वर्णिम अवसर प्रदान किया है, हमें उसे हल्के में नही लेना चाहिए.

भवदीय

धर्मेन्द्र शर्मा, गुड़गाँव हरियाणा
OBO के सभी सदस्यों को प्रणाम

इस चर्चा का उद्देश्य मात्र इतना ही था कि हम सब कुछ भी लिखते समय अपनी वर्तनी और व्याकरण पर थोड़ा सा समय लगाकर यथासंभव शुद्ध लिखने का प्रयत्न करें. परन्तु अभी भी कुछ सदस्यों का लापरवाह रवैया साफ दिखाई देता है. मेरा उन सदस्यों से आत्मिक निवेदन है कि अपने लापरवाह रवैये में बदलाव लाने का कष्ट करें. आप यह समझ लें कि लिखी हुई रचना, अथवा टिप्पणियां आपके व्यक्तित्व को दर्शाती हैं. .....मैं चाहूँ तो यहाँ पर विस्तार से सारी अशुद्धियों को दर्शा सकता हूँ. परन्तु यह अभी जल्दबाजी होगी .............मेरे थोड़े से कहे को अधिक समझे.............

आपको होने वाले कष्ट के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ.
आदरणीय राणा जी ने एक सार्थक बहस शुरू की है, लिप्यांतरण में समस्या तभी आती है जब आप इनपुट सही नहीं देते है, अँग्रेज़ी मे हिन्दी के शब्द लिखते वक्त कुछ चीज़ों का ध्यान लेखक रखे तो स्वतः ही यह समस्या हल
हो जाएगी क्योंकि यह टूल तो सक्षम है बस इनपुट पर ध्यान दे दिया जाए.
एकदम सही कथन।।। पूरी तरह से सहमत।। सादर।।

मैं तो कितनी भी ज्ञानवर्धक कहानी, लेख आदि हो अगर वर्तनी की अशुद्दियों से भरा पड़ा है तो मैं कदापि नहीं पढ़ता और मुझे झुँझलाहत भी होती है। मुझे लगता है कि अगर लेख लिखने के बाद उसे मनन के साथ खुद ही एकबार पढ़ा जाए और अशुद्धियों को दूर करने के पाद ही प्रकाशित किया जाए तो कितना अच्छा रहेगा पर लोग जल्दी-जल्दी में जो कुछ भी लिखते हैं पोस्ट कर देते हैं और हिंदी का कबाड़ा कर देते हैं।। सादर।।
Openbookonline के सभी सदस्यों को प्रणाम ।

मैं राणा प्रताप जी की राय से पूरी तरह सहमत हूँ । मेरा यह मानना है कि अगर हम अपने आप को हिन्दी भाषा-भाषी मानते हैं तो वर्तनी, भाषा एवं व्याकरण सम्बन्धी अशुद्धि तो नहीं ही होनी चाहिये । थोड़ा सा अध्ययन करके और थोड़ी सी सावधानी बरत के इन त्रुटियों को सुधारा जा सकता है । मैं इस बात से भी पूरी तरह सहमत हूँ कि कुछ भाषागत एवं वर्तनी सम्बन्धी त्रुटियाँ Admin महोदय के लेखन में भी नजर आती हैं ।
( Admin कृपया इसके लिए क्षमा करेंगे लेकिन साइट खोलने जब ये सब कमियाँ दृष्टिगत होती हैं तो अखरता जरूर है ।

जहाँ तक टूल के माध्यम से हिंदी लिखते समय होने वाली अधुद्धियों का सवाल है, तो थोड़े से प्रयास से उसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है और उसे दूर भी की जा सकती है । हाँ ये हो सकता है कि आरम्भ में कुछ समय अधिक लगे लेकिन धीरे धीरे इसका अभ्यास हो जाता है ।

मेरे विचार से प्रबंधन ग्रुप और प्रधान संपादक के पास एेसी शक्तियां होनी चाहिए कि ओपन बुक्स ऑनलाइन की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए वे इन त्रुटियों/अशुद्धियों को ठीक कर सकें ।

सादर ।
नीलम बहन प्रणाम, मैं आपकी बातों से १०० प्रतिशत सहमत हूँ , कि वर्तनी, भाषा एवं व्याकरण सम्बन्धी अशुद्धि नहीं होनी चाहिये , मैं यह भी मानता हूँ कि मेरे लिखने मे भी त्रुटिया हो जाया करती हैं, जिसे मैं आप सब के सहयोग से सुधारने का प्रयत्न कर रहा हूँ,
यकिन मानिये यदि कोई मेरी त्रुटियों को बताता है तो मुझे ख़ुशी होती है, और सुधार करने का मौक़ा भी मिलता है, ओपन बुक्स ऑनलाइन पर सभी के सुझाव और शिकायत का स्वागत हैं,
अभी तक जो तकनीक हम लोगो के पास हैं उसके अनुसार किसी अन्य सदस्य के द्वारा पोस्ट की हुई रचना का संपादन प्रबंधन समूह द्वारा नहीं किया जा सकता, हमारी पहुच केवल रचना के शीर्षक तक ही है, मैं इस सम्बन्ध मे अपने तकनीक प्रदाता समूह से बात करूँगा,
नवीन भैया ५ महीने पहले प्रारंभ हुई इस चर्चा के दौरान ही कितने बदलाव आ गए| कई सदस्य पहले इन बातों की अनदेखी कर देते थे, जो अब ध्यान देने लगे हैं जिससे साईट का स्तर भी ऊँचा उठा है| साथ ही साथ हिंदी लेखन के लिए बहुत सारे नए टूल्स भी आ गए हैं जिनसे काम और भी आसान हो गया है| बस ज़रुरत है अपने लिखे हुए को एक बार फिर से पढ़ लिया जाये तो गलतियाँ खुद ब खुद दूर की जा सकती हैं|

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
19 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
23 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
33 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
34 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
34 minutes ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
43 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
51 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"एक शेर छूट गया इसे भी देखिएगा- मिट गयी जब ये दूरियाँ दिल कीतब धरा पर का फासला क्या है।९।"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service