For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे पूर्ण कर जाएगा.....

मुझे पूर्ण कर जाएगा.....

न जाने कितनी बार
मैं स्वयं को
दर्पण मेंं निहारती हूँ
बार बार
इस अास पर
खुद को संवारती हूँ
कि शायद
अाज कोई मुझे
अपना कह के पुकरेगा !

मेरी इस सोच से
मेरा विश्वास
डगमगाता क्यूँ है ?
क्या मैं दैहिक सोन्दर्य से
अपूर्ण हूँ ?
क्या मेरा वर्ण बोध
मे्रे भाव बोध के अागे बौना है ?

फिर स्वयं के प्रश्न का उत्तर
अपने प्रतिबिंब से पूछ लेती हूँ
श्यामल वर्ण मुस्कुराता है
लाज़ की रणनीति अपनाता है
अधर रक्ताभ हो जाते हैं
नेत्र थोड़े लजाते हैं
मुझे मेरा उत्तर
मिल् जाता है
भौतिक देह मेंं वो सब है
जिस चाहत से कोई
देह अपनाता है

दैहिक समर्पण तो
पूर्ण हो जाता है
फिर भी क्यूँ मन मेंं
भटकन शेष रहती है
देह को छोड़ मन
उस अव्यक्त प्रेम के बिंदु तक
विचरण कर
खाली हाथ लौट अाता है
इच्छाएं
अनंकुरित ही रह जाती हैं
अात्मिक अांखें किसी रेगिस्तान सी
भावशून्य हो जाती हैं
अाखिर किस कस्तूरी गंध की तृषा लिए
मन
गहन कंदराओं मेंं
जीवन के अंतिम बिंदु तक
भटकता है ?

जाने किस पल के अवगुंठन से
कोई अजनबी अाएगा
अपना बन जाएगा
अंतस मेंं समा जाएगा
वर्णाकर्षण की भौतिकता से दूर
प्रेमाकर्षण के अंतिम बिंदु तक
मुझे पूर्ण कर जाएगा

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 12, 2016 at 3:59pm

अादरणीय  shree suneel  जी प्रस्तुति मेंं निहित भावों को समर्थन देती अापकी अात्मीय प्रशंसा का हार्दिक अाभार। 

Comment by shree suneel on July 11, 2016 at 8:25pm
वर्ण और बनावट से इतर प्रेम हीं तो सत्य है.. मूल है.. नायिका की इस आकांक्षा को शाब्दिक करती
इस सुन्दर रचना के लिए बधाई आपको आदरणीय सुशील सरना सर जी. सादर
Comment by Sushil Sarna on July 7, 2016 at 8:31pm

अादरणीय रामबली गुप्ता जी अाप जैसे काव्य मर्मज्ञ से रचना के भावों को मिली अात्मीय प्रशंसा से सृजन धन्य हुअा। अापका हार्दिक अाभार। 

Comment by रामबली गुप्ता on July 7, 2016 at 5:28pm
वाह वाह आद0 सुशील सरना जी जब भी आपकी रचनाएँ पढता हूँ हर बार कुछ न कुछ नया सीखने को मिलता है। बहुत ही सुंदर हृदय से बधाई स्वीकार करें।बिम्ब लाजवाब भाव पक्ष चरम को प्राप्त करता हुआ। पुनरपि बधाई
Comment by Sushil Sarna on July 6, 2016 at 10:25pm

अादरणीय गिरिराज भाई साहिब प्रस्तुति मेंं निहित भावों को समर्थन देती अापकी अात्मीय प्रशंसा का हार्दिक अाभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 6, 2016 at 8:30pm

आदरनीय सुशील भाई , साँवले पन को लेकर मन मे उपजते उहापोह का बहुत सुन्दर वर्णन किया आपने , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Sushil Sarna on July 5, 2016 at 4:56pm

अादरणीया राहिला जी प्रस्तुति के गहन भावों को अात्मीय मान देने का दिल से शुक्रिया। 

Comment by Rahila on July 5, 2016 at 12:37pm
वाह... वाह...!,एक साँवली सी लड़की की खूब मनोदशा समझी आपने।बहुत सुंदर चित्रण।खूब बधाई आदरणीय सर जी! सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
yesterday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service