For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सपनों के गुब्बारे -- ( लघु कथा ) जानकी बिष्ट वाही - नॉएडा

विशाल प्राँगण में खूबसूरत फूलों की प्रदर्शनी , सुंदर रंग और सन्तुष्ट लोग। ये मंज़र आँखों को सुक़ून दे रहा था। तभी बगल से खिलखिलाते बच्चों का हुजूम गुजरा, उनके हाथों में पकड़े गैस के गुब्बारों पर नज़र ठहर गई।
एक पर कलात्मक शब्दों में लिखा था- " डॉक्टर -पीहू" दूसरे पर, "इंजीनयर - उत्कर्ष" तीसरे पर, "अंतरिक्ष विज्ञानी- निहारिका "
कौतूहल से मनीष ने इधर -उधर देखा,कुछ दूरी पर गुब्बारे वाले के पास बच्चों की भीड़ दिखी।

" अच्छा तो आप हैं जो मासूम बच्चों को सपने बेच रहे हैं ?" मनीष ने देखा,गुब्बारे वाले के पास ही में बैठा एक युवा तेज़ी से गुब्बारों पर बच्चों के नाम और उनकी पसन्द लिखता जा रहा था।

" हाँ बाबूजी ! देखिये बच्चे कितने खुश हैं ?"

" बहुत ख़ूब भाई ! इतना प्यार भरा विचार कहाँ से आया आपको ?"

" बाबूजी ! बचपन में मेरा बेटा कहता था, बापू ! मेरे गुब्बारे में लिख दो कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूँगा। तो उसका मन रखने को लिख देता था।"

"तो बेटे का सपना हुआ पूरा ?"

" हुआ ना बाबू जी ! अब वह डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहा है।छुट्टियों में आया है।'

" वाह! तो कहाँ हैं आपके लाड़ले डॉक्टर साहब ?"

" आज मेरी मदद कर रहा है। गुब्बारों में बच्चों के सपने लिख रहा है ।वो देखो ..."

मनीष ने उस सुदर्शन युवक को देखा जो एक नन्हीं बच्ची को " मैं आसमान में उड़ना चाहती हूँ " लिखा हुआ गुब्बारा उसके नन्हें हाथों में थमा रहा था।


जानकी बिष्ट वाही
मौलिक एवम् अप्रकाशित
नोयडा

Views: 923

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Janki wahie on June 22, 2016 at 6:39pm
सादर आभार आ. गिरिराज सर जी।कथा पसन्द करने के लिए।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 21, 2016 at 11:26am

आदरणीया जानकी जी , बहुत अच्छी लगी आपकी लघु कथा , सपनों को बिना पंख के उड़ाने देने की कला ।

Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 6:44pm
सादर आभार आ. तेज़ वीर सिंह जी।
Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 6:43pm
सादर आभार आ. तेज़ वीर सिंह जी।
Comment by TEJ VEER SINGH on June 20, 2016 at 2:16pm

हार्दिक बधाई आदरणीय जानकी वाही जी! बेहतरीन  लघुकथा!

Comment by Rahila on June 20, 2016 at 1:29pm
मैंने एक किताब पढ़ी थी," दा सीक्रेट "यकीन मानिये मेरी ज़िंदगी में उसके बाद बडा सुखद परिवर्तन आया।ये रचना कुछ ऐसी ही है।जैसा सपना देखोगे पूरे यकीन के साथ वो सार्थक होगा ही।बहुत सार्थक रचना प्रिय दीदी!खूब, खूब बधाई।सादर
Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 1:14pm
तहेदिल से शुक्रिया शहज़ाद जी।
Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 1:13pm
सादर आभार आ.रवि सर जी।आपका प्रेणना प्रद मार्गदर्शन हमेशा प्रकाश स्तम्भ की तरह राह दिखाता रहे।नमन।
Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 1:09pm
सादर आभार आ. dr. विजय शंकर जी। कथा पर आपकी टिप्पणी ने भावों के अलग आयाम खोल दिए।नमन।
Comment by Janki wahie on June 20, 2016 at 1:08pm
सादर आभार आ.श्याम नारायण वर्मा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service