For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-69

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 69 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब अज्म शाकिरी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

 
"मेरे अन्दर कोई सैलाब उतारा उसने"

2122   1122   1122  22

फाइलातुन फइलातुन फइलातुन फेलुन

(बह्र: रमल मुसम्मन् मख्बून मक्तुअ )
रदीफ़ :- उसने
काफिया :- आरा (उतारा, किनारा, शिकारा आदि)
विशेष: 

१. पहला रुक्न फाइलातुनको  फइलातुन अर्थात २१२२  को ११२२भी किया जा सकता है 

२. अंतिम रुक्न फेलुन को फइलुन अर्थात २२ को ११२ भी किया जा सकता है| 

 

 

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 25 मार्च दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक २६ मार्च दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 25 मार्च दिन शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13781

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ० सौरभ सर जी,  बेहतरीन गज़ल के लिये दाद कुबूल फरमाये. सादर

धन्यवाद भाई केवल प्रसाद जी.. 

आदरणीय सौरभ सर, शानदार ग़ज़ल कही है आपने. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. मुझे मतला यूं पढ़ना अधिक अच्छा लग रहा है-

//दे दिया हाथ में दहका हुआ पारा उसने 
यूँ मुहब्बत को दिया अर्थ दुबारा उसने//

मतला के बाद एक से बढ़कर एक शेर हुए है. गिरह भी खूब लगाईं है. संत और कन्हैया पर बढ़िया समसामयिक शेर. गालियाँ और भीड़ वाले शेर पढ़ते हुए आँखों के आगे चित्र बनता ही है. बहुत खूब. पुनः बधाई. सादर 

आदरणीय मिथिलेश जी, आपका सुझाव उचित है. आ. धर्मेन्द्रजी ने भी इस ओर सुझाया है. इससे वाकई मतले में निखार आ रहा है. आपकी शुभकामनाओं केलिए हार्दिक धन्यवाद 

आदरणीय सौरभ सर, आपका अनुमोदन पाकर आश्वस्त हुआ हूँ. मतले में 'दहका हुआ पारा' जो आप लेकर आये हैं ऐसा पारा हमारे हाथ लगता ही नहीं. ऐसे खयाल आपकी सोच का ही परिणाम हुआ करते है. मतले ने बाँध लिया था. सादर  

:-))

आपके भी हाथ आयेगा, बल्कि किसी ने धरा भी होगा। बस महसूस करने वाली बात है।

दिल की गहराइयों से प्रेम कीजिये, उत्कट स्नेह ! और, दुनिया की विसंगतियों और सभी विडंबनाओं को भूल जाइये ! महसूस करेंगे, हथेलियों में धरा दहकता हुआ, जलता हुआ नहीं, पारा !

आत्मीयता और विश्वास का यही स्वरूप विश्व को बदलने का सामर्थ्य रखता है।

जी, प्रयास करता हूँ. वैसे-"अपना दहका भी जो सूरज तो है बहका पारा"

हा हा हा .. 

 हा हा हा 

  वाह !  कवि की  कविता  और  उनके  मन का  आलोड़न ,बहुत  खूब  व्यक्त  हुआ  है  इन  " दहकता  हुआ  पारा " के  माध्यम  से ,   सादर   !

:-))

सादर 

दे दिया हाथ में दहका हुआ पारा उसने
औ’ मुहब्बत को दिया अर्थ दुबारा उसने   ---   बहुत खूब , आदरणीय , सच है , मुहब्बत आग का दरिया है और डूब के जाना है ,  औ के स्थान पर यूँ सलाह  सच मे उचित है , आदरनीय ।


पीठ पीछे जो मुझे गालियाँ देता था वही
क्या हुआ नाम लिया और पुकारा उसने ?   --  अच्छा है ये शे र भी ,


जो नदी.. लाँघ के पर्बत भी.. बहा करती थी
वक़्त ये देखिये.. शर्तों पे गुज़ारा उसने ----         वक़्त के सामने  कौन मज़बूर नही होता , मज़बूरी बढ़िया शाब्दिक हुई है


देखिये लोग जुटेंगे तो करेंगे बातें..
इस तरह भीड़ के होने को नकारा उसने ---     भीड से भय . ज़रूर दाल मे कुछ काला है  , अच्छी बात कही


संत के बोल थे, ’क्या लाभ जो जोड़ी दौलत’ ?
फिर किया संत की दौलत का नज़ारा उसने !  ---  दोहरा मानडंड , बढ़िया बात कही ,


रंग में भंग न हो जाय कहीं, कह-कह कर 

मेरे अन्दर कोई सैलाब उतारा उसने ---     गिरह बेहद अच्छी लगी है , आदरणीय


नाम से एक कन्हैया था महाभारत में..
सोच कर एक जमूरे को उतारा उसने !  ---  सामयिक बात , बहुत सुन्दर , मेरे दिल की बात ।

पूरी गज़ल के लिये आपको दिल से बधाइयाँ , आदरनीय सौरभ भाई ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है, मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।…"
6 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदाब, मुसाफ़िर साहब, अच्छी ग़ज़ल हुई खूँ सने हाथ सोच त्यों बर्बर सभ्य मानव में फिर नया क्या है।३।…"
43 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय 'अमित' जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल के साथ मुशायरा का आग़ाज़ करने के लिए दाद के साथ…"
46 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, ध्यान दिलाने का बहुत शुक्रिया। ग़ज़ल दोबारा पोस्ट कर दी है। "
57 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमन, रिया जी , खूबसूरत ग़ज़ल कही, आपने बधाई ! मतला भी खूसूरत हुआ । "मूसलाधार आज बारिश है…"
57 minutes ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आसमाँ को तू देखता क्या हैअपने हाथों में देख क्या क्या है /1 देख कर पत्थरों को हाथों मेंझूठ बोले वो…"
58 minutes ago
Prem Chand Gupta replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"इश्क में दर्द के सिवा क्या है।रास्ता और दूसरा क्या है। मौन है बीच में हम दोनों के।इससे बढ़ कर कोई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब  ओ.बी.ओ के नियम अनुसार तरही मिसरे को मिलाकर  कम से कम 5 और…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"नमस्कार, आ. आदरणीय भाई अमित जी, मुशायरे का आगाज़, आपने बहुत खूबसूरत ग़ज़ल से किया, तहे दिल से इसके…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बेवफ़ाई ये मसअला क्या है रोज़ होता यही नया क्या है हादसे होते ज़िन्दगी गुज़री आदमी…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"धरा पर का फ़ासला? वाक्य स्पष्ट नहीं हुआ "
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Richa Yadav जी आदाब। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास के लिए बधाई स्वीकार करें। हर तरफ शोर है मुक़दमे…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service