For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

काव्यकर्म में पदों या पंक्तियों में तुकान्तता का बड़ा महत्त्व है. इनके बिना सार्थक और स्वीकार्य गेय रचनाएँ   --अर्थात छंद, गीत, नवगीत आदि--  उचित नहीं मानी जानी चाहिये. कारण कि, गेय रचनओं के लालित्य और प्रस्तुतीकरण में भारी कमी आ जाती है.
अर्थात, काव्यकर्म में मात्र मात्राओं या वर्णों का ही निर्वाह न हो, बल्कि गेय (मात्रिक या वर्णिक) रचनाओं में उनके पदों या उनकी पंक्तियों का अन्त भी नियमानुकूल हो. इस तथ्य का कविगण अवश्य ध्यान रखें.

तुकान्तता के निर्वहन में मात्र अन्त्याक्षर ही नहीं मिलाये जाते बल्कि स्वर के अनुसार भी शब्दों का मिलाना आवश्यक हुआ करता है. 
पदों या पंक्तियों के तुकान्त तीन तरह के होते हैं :
1) उत्त्म तुकान्तता
2) मध्यम तुकान्तता
3) निकृष्ट या अधम तुकान्तता

सलाह तो यही दी जाती है कि रचनाओं में गेयता और उच्चारण के अनुसार निकृष्ट या अधम तुकान्तता से उत्तरोत्तर बचने का प्रयास हो.  

उदाहरण :
तुकान्तता         उत्तम                मध्यम                 निकृष्ट
============================================
।ऽ                  खाइये, जाइये        सूचना, बूझना        देखिये, रोइये
।।                  आवत, जावत        जागत, पावत        साजन, दीनन
।।।                 नमन, गमन          सुमति, विपति      उचित, सुनत
।।।।                बरसत, तरसत       विहँसत, हुलसत    अरुचित, तड़पत
ऽऽ                 मनाना, जनाना        सहारा, सकारा        विधाता, पलीता
ऽ।                  विधान, निधान        सुधार, हज़ार         सुधीर, कहार

अर्थात, तुकान्त में अंत्याक्षर और उनके स्वर का अनरूप भी अवश्य मिले हों, और जहाँ तक संभव हो, अन्त के ठीक पूर्व का अक्षर भी समवर्णी ही हो. यदि वह समवर्णी न बन पाये तो समान स्वर का तो अवश्य हो. इस कारण कविता सुनने और पढ़ने में सरस और सुगढ़ लगती है.


इस हिसाब से, उत्तम और मध्यम तुकांतता सर्वमान्य और स्वीकार्य हैं.

मात्र स्वर सामिप्य के आधार पर हुई तुकान्तता कर्णकटु लगती है. अतः सर्वमान्य नहीं है. इस तरह की किसी तुकान्तता से जहाँ संभव हो, बचना चाहिये.

वैसे हिन्दी भाषा के काव्यकर्म में अंग्रेज़ी या संस्कृत भाषा की तरह भिन्न तुकान्तता के भी प्रयोग हुए हैं. ऐसी तुकान्तायें पंक्तियों या पदों के शब्द संयोजन के आधार पर ही मान्य या अमान्य हुआ करती हैं.
******

ज्ञातव्य : प्रस्तुत आलेख उपलब्ध साहित्य और मान्य सूचनाओं पर आधारित है

Views: 5023

Replies to This Discussion

अवश्य ही आप छन्द या छान्दसिक या गीत रचनाओं की प्रवहमान एवं सरस तुकान्तता को ग़ज़लों या नज़्मों के क़ाफ़िया से मिलान कर बैठे हैं जहाँ ’खड़ा’ की तुक ’बैठा’ हो जाती है.
 
आप लेख को फिर से पढिये. लेख छोटा है, फिरभी आपने इसे मनोयोग से नहीं पढ़ा है. इस लेख में उदाहरण को स्पष्ट करता हुआ चार्ट बना है उसको देखिये. फिर आप अपने प्रश्न पर मेरे उत्तर (टिप्पणी) को फिर से पढें. देखिये आपको ज़वाब मिल जायेगा.

छोटी छोटी मगर मोटी बातें

सादर आभार सर

हार्दिक धन्यवाद, भाई 

behad laabhdayak jaankari .aabhar pujyvar

हार्दिक धन्यवाद भाईजी.

आ.सौरभ जी गीत और नवगीत मे क्या अंतर होता है. अभी तक मैने सिर्फ़ अतुकान्त कविताए लिखी है. लिखने -पढने मे रूचि है मगर साहित्य की विभिन्न विधाओ के बारे मे ज्यादा जानती नहीं हूँ. तुकान्त सीख कर लिखने का प्रयास करना चाहति हूँ.आपका मार्गदर्शन व सहयोग की अभिलाषा रखती हूँ.

आदरणीया, गीत और नवगीत के बीच के अंतर को उस पाठक को समझा पाना मेरे लिए उतना सहज नहीं है, कारण कि, जिस पाठक की रचना यात्रा इस क्षेत्र में अभी प्रारम्भ ही होने को है, उसे कई विन्दु अबूझ लग सकते हैं.. फिर भी मैं एक संक्षिप्त किन्तु तार्किक प्रयास करता हूँ. 

गीत वस्तुतः भावाभिव्यक्ति के नैसर्गिक शाब्दिक संप्रेेषण हैं जिनमें रचनाकार की भावदशा एक वातावरण रचती है और उक्त अभिव्यक्ति के सभी बन्द विषय विशेष के इर्द-ग़िर्द व्याख्या या सामान्य कहन पाते हैं. गीत के रचनाकार यानी गीतकार अपनी नितांत वैयक्तिक भावनाओं को शाब्दिक करने से लेकर सामाजिक रूप से प्रभावी किन्तु सापेक्षतः व्यक्तिगत घटनाओं का वर्णन अधिक करता है. इनमें निजता अधिक बखान पाती है. गीत भारतीय भूभाग के सनातन काल से मानवीय दशाओं तथा अंतर्निहित सम्बन्धों को उजागर करते रहे हैं. 

जबकि नवगीत अपेक्षाकृत बहुत ही नयी विधा है. जो पचास के दशक में प्रकाश में आयी. नवगीत के माध्यम से रचनाकार आधुनिक जीवन की विसंगतियों और मनुष्य की सामाजिक भावनाओं को शब्दबद्ध करता है. इनके बिम्ब और उनका बर्ताव नयापन लिये होता है. निराला की अमर पंक्ति ’नव गति, नव लय, ताल-छन्द नव’ इनके होने की प्रेरणा है. 

दोनों विधाएँ छान्दसिक होती हुई भी कई अर्थों में प्रच्छन्न होती है.

जैसे, गीत छन्द को शुद्ध रूप से मानते हुए भी कई बार अभिव्यक्ति में दशा की बारम्बारता को शाब्दिक करने के चलते उनके मूल स्वरूप से अलग व्यवहार करते हैं. लेकिन यह अवश्य है कि अधिकांश गीत छन्द पर आधारित होते हैं.

जबकि नवगीत छन्दों को समझते हैं लेकिन आग्रही नहीं होते. अलबत्ता मात्रिकता का निर्वहन अनिवार्य होने से पंक्तियों का वाचन प्रवाह में होता है. सामाजिक विसंगतियों को स्वर देते नवगीतों में रचनाकार स्वानुभूति के माध्यम से सामाजिक दशाओं को सामने लाता है.
  

आदरणीय सौरभ सर हार्दिक आभार इस स्पष्टीकरण और साझा के लिए।

मोबाइल से इतना लिख पाया। यह मेरे लिए भी उपलब्धि है, आ. मिथिलेश भाई ।

आदरणिय आपने जो विस्तृत अंतर समझाया गीत और नवगीत मे उसे आत्मसात करने की पूरी-पूरी कोशिश करुंगी.एक बात जरुर समझ गई कि दोनो के लिखने का विधान छन्द मे होना चाहिए.महाउत्सव मे आने वाली रचनाओ को पढकर भी समझने की कोशिश करती रहूंगी ..बहुत-बहुत आभार आपका

सादर धन्यवाद आदरणीया .. 

सार्थक सामग्री प्राप्त हुई आपसे आज इस मंच के द्वारा। सादर।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया लक्ष्मण भाई।"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जिनकी टिप्पणी से सीखने को मिला…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service