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बहुत सुंदर सकारात्मक रचना, ममता के आंचल तले कभी मार तो कभी प्यार मिलते ही हैं| सारे रंगों को अपने अंतर में निहारती माँ की भावनाओं का खूबसूरत चित्रण करती इस रचना के सृजन हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीया नेहा जी|
बच्चो को सही राह दिखाने के लिए डांट फटकार तो करनी ही पड़ती है लेकिन ममता की अपनी सोच होती हैं| बहुत अच्छी रचना विषय पर, बधाई
मन के अन्दर उमड़ते घुमड़ते भाव को व्यक्त करने का सार्थक प्रयास हुआ है किन्तु कथा शुरुआत में अनावश्यक रूप से विस्तृत हो गयी है जिसे कॉम्पैक्ट किया जा सकता है, बधाई आदरणीया नेहा जी इस ममतामयी अभिव्यक्ति पर.
बहुत खूब कथा कयहीं आपने बधाई
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