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हमारे दिल के ही महमान थे

 हमारे दिल के ही महमान थे   

  कभी तुम भी हमारी जान थे 
 

 बिछड़ते वक़्त खामोशी बहुत थी

तो क्या दोनो ही हम बेजान थे 

 

 कभी हँसना कभी पलकें झुका लेना 

मुहब्बत के बहुत उनवान थे 

 

हमारे साथ थी क़ुरबत तुम्हारी 
यह रस्ते किस क़दर आसान थे 

मिले थे जो कभी खोने की खातिर 

तुम्हारे ख्वाब थे आँखों मैं उनकी 
वो अरमान किस क़दर नादान थे 

तुम्हें पाने की ख्वाहिश होगई थी 
यक़ीनन हम बड़े नादान थे 

तुम्हारी ज़ात पर मानो ना मानो 
हमारे भी कई अहसान थे 
 
अगर कुछ भी नहीं थी ज़ात   मैरी 
सनम तुम भी तो इक इंसान थे 

बस इक क़तरे मैं दुनिया आगाई थी 
समंदर देख कर हैरान थे 

कहाँ तक वो दिया रखता सलामत 
जिसे घेरे हुए तूफान थे 
  
वहाँ अब खाक उड़ती जा रही है 
जहाँ रकखे हुए गुल्दान थे 
 
मेर शेरॉन मैं क़िस्सा था तुम्हारा 
मैरी गाज़लों की तुम पहचान थे. 
 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 22, 2011 at 9:41pm
तुम्हें पाने की ख्वाहिश होगई थी
यक़ीनन हम बड़े नादान थे

बहुत अच्छे.. बधाई.
Comment by Tapan Dubey on April 22, 2011 at 8:57pm
कभी हँसना कभी पलकें झुका लेना

मुहब्बत के बहुत उनवान थे

Bahut khub badhai...

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