Tags:
Replies are closed for this discussion.
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ नीरज शर्मा जी
विनय जी ,सचमुच जिंदगी कभी ऐसे मोड़ पर ले आती है, यहाँ किसी एक के साथ समझौता करना पड़ता है,"फोन रखते हुए उसने पिता की तस्वीर उल्टी कर दी ।",- कमाल की बात कह कर आप जी ने लघुकथा को खत्म किया - बहुत बधाई हो
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ मोहन बेगोवाल जी
आह ! मनोबल को कमजोर करती हुई ,बेहद विषम परिस्थितियाँ , कोई क्या करें ऐसे में और झोंक दिया स्वयं को जिल्लत भरी जिंदगी जीने के लिए। मन को झंकझोड़ती हुई एक बेहद तीक्ष्ण , तंजदार लघुकथा। ढेरों बधाई आपको आदरणीय विनय सर जी।
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ कान्ता रॉय जी
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आ नेहा अग्रवाल जी
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ नीता जी
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ अर्चना जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |