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कल से तीसरी बार पढ़ी है आपकी ये कथा और अब जाय के समझ आई , बहुत बढ़िया भाव हैं और इसकी आंचलिकता इसको और सशक्त बना रही है ,बधाई आपको आदरणीया जानकी जी
आंचलिक भाषा में लिखी सुन्दर कथा बधाई आ. जानकी जी
नारी शक्ति की धमक की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है आदरणीया जानकी वाही जी. हार्दिक बधाइयाँ
यह अवश्य है कि प्रस्तुति की भाषा हिन्दी न हो कर आंचलिक होने से कई पाठकों को समझने मेम् दिक्कत आयी होगी. आंचलिक छौंक भर पड़ी होती तो इस प्रस्तुति का अंदाज़ ही अलग-सा होता !
फिर भी हार्दिक शुभकामनाएँ
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