For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- कर्म की योग्यता नहीं देतें।

२१२२ १२१२ २२
आजकल सभ्यता नहीं देतें।
बाप भी शिष्टता नहीं देतें।

पेड,पौधें,नदी,जलाशय अब।
स्वर्ग का रास्ता नहीं देतें।

चार पन्नें किताब के मित्रों।
कर्म की योग्यता नहीं देतें।

क्या करूं इस समाज में जी कर।
लोग गर साम्यता नहीं देतें।

तब तलक चुप नहीं रहेंगे हम।
जब तलक सच जता नहीं देतें।

खोल बैठें दुकान अध्यापक।
दाम बिन शिष्यता नहीं देतें।

बात क्या है?जहान को रब जो।
आप अपना पता नहीं देतें।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 518

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 27, 2015 at 2:01pm
आदरणीय गिरीराज जी,आदरणीया कान्ता रॉय जी धन्यवाद ।
मैं इन्तजार करूंगा
Comment by kanta roy on July 26, 2015 at 12:45pm
वाह !!!! सुंदर लिखा है आपने कि चार पन्ने किताब के ......... बहुत खूब !!!!! बधाई आपको आदरणीय राहुल दाँगी जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 26, 2015 at 12:00pm

आदरणीय राहुल भाई , अच्छी गज़ल हुई है हार्दिक बधाइयाँ आपको । मतले मे इता दोष की सम्भावना तो है , पर इंतिजार करें  !

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 26, 2015 at 8:35am
आदरणीय Jatinder Aulakh जी धन्यवाद
Comment by Rahul Dangi Panchal on July 26, 2015 at 8:35am
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आभार । गुनीजनों से निवेदन है क्रपया मार्ग दर्शन किजिए
Comment by Jatinder Aulakh on July 26, 2015 at 5:25am
Sunder hai

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 26, 2015 at 12:27am

आदरणीय राहुल भाई जी बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई 

काफिया में ईता दोष के सम्बन्ध में गुनीजनों से मार्गदर्शन का निवेदन है. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
5 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
17 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service