For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-नजर मिल रही थी तो दिल डर गया।

१२२ १२२ १२२ १२

नजर मिल रही थी तो दिल डर गया।
नजर से बचे तो जिगर मर गया।।

अभी पाँव रक्खा ही था इश्क में।
बडी तेज सर पर से पत्थर गया।।

कदम कोई अपना मेरी कब्र पर।
जहाँ पर जिगर था वहाँ धर गया।।

नजर थी,बला थी, वो क्या थी मगर।
उसे सोचते सोचते मर गया ।।

जमाने ने सर पर बिठाया उसे।
जरा सी उछल कूद जो कर गया।।

फना हो गयी है शराफत या रब।
या है ही नहीं तू या फिर मर गया।।

हँसाने की कोशिश करों उसको तुम।
जो आँखों में लेकर समन्दर गया।।

वो इक शे'र डूबा हुआ प्यार में।
बहुत तो नहीं पर असर कर गया।।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shree suneel on July 12, 2015 at 10:27pm
जमाने ने सर पर बिठाया उसे।
जरा सी उछल कूद जो कर गया।।.. ख़ूब.. सही बात
अच्छी ग़ज़ल कही आपने आदरणीय. बधाई.. बधाई.
Comment by Rahul Dangi Panchal on July 12, 2015 at 12:40pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Rahul Dangi Panchal on July 11, 2015 at 9:12pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी बहुत बहुत शुक्रिया । देर के लिए माफी चाहता हूँ। माता वैष्णो के दर्शन करने गया था। जय माता दी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 11, 2015 at 12:23pm

आदरणीय राहुल भाई , सभी शे र बहुत लाजवाब हैं , दिली  बधाइयाँ स्वीकार करें ।

जमाने ने सर पर बिठाया उसे।
जरा सी उछल कूद जो कर गया।।

हँसाने की कोशिश करों उसको तुम।   ----   उला को ऐसे भी कह सकते हैं  --- हँसाने की कोशिश तो की थी उसे
जो आँखों में लेकर समन्दर गया।।
जो आँखों में लेकर समन्दर गया।।  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2015 at 8:45pm

बहुत बढ़िया दांगी जी  मुबारक हो .

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 9, 2015 at 6:39pm
आदरणीय Pari M Shlok जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया । सादर नमन
Comment by Pari M Shlok on July 9, 2015 at 3:16pm
कदम कोई अपना मेरी कब्र पर।
जहाँ पर जिगर था वहाँ धर गया।।

जमाने ने सर पर बिठाया उसे।
जरा सी उछल कूद जो कर गया।।

वो इक शे'र डूबा हुआ प्यार में।
बहुत तो नहीं पर असर कर गया।।

कमाल क्या बात है मुक़म्मल ग़ज़ल कहेंगे इसे शायद :)
Comment by Rahul Dangi Panchal on July 9, 2015 at 12:51pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपकी प्रतिक्रिया से रचना सफल हुई । सादर धन्यवाद

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 9, 2015 at 12:32pm

आदरणीय राहुल भाईजी, बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद कुबूल फरमाएं 

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 9, 2015 at 10:35am
आदरणीय भाई धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी बहुत बहुत शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
9 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
9 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
9 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
9 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service