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दवा है दर्द की कह कर पिला देगा मुझे कोई

गिरा कर अश्क फिर अपने बहा देगा मुझे कोई

सिख़ाओ मत मुझे जीना न है अब जिन्‍दगी प्‍यारी

दिखा कर प्‍यार के सपने जला देगा मुझे कोई

गमो की राह अच्‍छी है न आता पास दुश्‍मन भी

डगर सुख की चले तो बददुआ देगा मुझे कोई

निराले खेल दुनिया के कभी खेला अगर मैने

न दोगे साथ मेरा तो हरा देगा मुझे कोई

न है हर फूल में काँटे हमेशा सोचता हूँ मै

न बदला सोच अपना तो मिटा देगा मुझे कोई।

अखंड गहमरी मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Akhand Gahmari on July 12, 2015 at 12:41pm

आदरणीय मिथिलेस वामनकर जी, आदरणीय सौरभ पाडे़ जी सुझाव एवं मागदर्शन के लिए नमन आपके बताये रास्‍ते पर चलने का पूरा प्रयास करूँगा

Comment by Akhand Gahmari on July 12, 2015 at 12:40pm

अादणीय मनोज कुमार जी, आदणीया डा गोपाल नारायण श्रीवास्‍तवा जी, आदणीय गुरूवर गिरिराज भंडारी जी, आदरणीय नरेन्‍द्र सिन्‍हा जी, आप सभी को नमन


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 8, 2015 at 12:41am

प्रयासरत रहें, अखण्ड भाई. आपमें बहुत सुधार हुआ है लेकिन यह भी सत्य है कि मीलों चलना है. 

 

निराले खेल दुनिया के कभी खेला अगर मैने.. निराले खेल दुनिया के कभी खेले अगर मैने

 

ऐसे ही अंतिम शेर के दोनों मिसरों मॆं कायदे का सम्बन्ध नहीं बन पाया है. व्याकरण सम्बन्धी अशुद्धि को आ. मिथिलॆश भाई बता चुके हैं.

शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 28, 2015 at 4:13am

आदरणीय अखंड जी, बहुत बढ़िया गज़ल हुई है , सभी अशआर बढ़िया हैं । इस बेहतरीन गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

न है हर फूल में काँटे हमेशा सोचता हूँ मै

न बदला सोच अपना तो मिटा देगा मुझे कोई। .....अपनी सोच बदली जाती है ......इसलिए.... न बदली सोच अपनी तो मिटा देगा मुझे कोई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 25, 2015 at 9:51pm

आदरणीय अखंड भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है , सभी शे र बढ़िया हैं । आपको हार्दिक बधाइयाँ गज़ल के लिये ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 24, 2015 at 7:54pm

achchhe hai gajal , Gahmaree jee

Comment by narendrasinh chauhan on June 24, 2015 at 5:17pm

दवा है दर्द की कह कर पिला देगा मुझे कोई

गिरा कर अश्क फिर अपने बहा देगा मुझे कोई

लाजवाब , बहुत खूब सुन्दर रचना

Comment by Aditya Kumar on June 24, 2015 at 5:11pm

सुन्दर सुन्दर सुन्दर आदरणीय  श्री   Akhand Gahmari जी .

Comment by Hari Prakash Dubey on June 24, 2015 at 4:58pm

आदरणीय अखंड गहमरी जी इस सुन्दर रचना पर बधाई ,  सादर ।

दवा है दर्द की कह कर पिला देगा मुझे कोई

गिरा कर अश्क फिर अपने बहा देगा मुझे कोई.....सुन्दर   !

Comment by मनोज अहसास on June 24, 2015 at 4:10pm
प्रणाम सर
बहुत खूब रचना
बधाई
अंतिम शेर की बात समझ नहीं आई
कृपिया समझा दे
सादर

कृपया ध्यान दे...

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