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मुक्तिका: गलत मुहरा ----- संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:                                                                          

गलत मुहरा

संजीव 'सलिल'
*
सही चहरा.
गलत मुहरा..

सिन्धु उथला,
गगन गहरा..

साधुओं पर
लगा पहरा..

राजनय का
चरित दुहरा..

नर्मदा जल
हहर-घहरा..

हौसलों की
ध्वजा फहरा..

चमन सूखा
हरा सहरा..

ढला सूरज
चढ़ा कुहरा..

पुलिसवाला
मूक-बहरा..

बहे पत्थर
'सलिल' ठहरा ..

****************

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Comment by आशीष यादव on March 31, 2011 at 10:34am

aadarniy salil ji,

dhanywaad, aapne meri shanka ka samadhan kiya.

Comment by sanjiv verma 'salil' on March 31, 2011 at 8:05am

बहुधा लघु मात्रावाले शब्द के अंत में दीर्घ मात्रा होने पर पुल्लिंग से स्त्रीलिंग होता है पर हमेशा नहीं.
'ध्वज' पुल्लिंग, 'ध्वजा' स्त्रीलिंग किन्तु 'नर' को 'नरा' न करें 'नारी' करना होगा. 'कलश' को 'कलशा' करने पर भी लिंग नहीं बदलता. लिंग संबंधी नियमों की पूरी जानकारी के लिये हिन्दी व्याकरण की कोई किताब देखें.

आशीष जी किसी शंड का अंतिम अक्षर लघु/दीर्घ, आकारांत या ईकारांत होना लिंग निरधारण का एकमात्र कारण नहीं है.

Comment by satyendr sengar on March 30, 2011 at 1:39am
श्रद्धेय सलिल जी प्रणाम....
क्या मात्रा बढाने से लिंग परिवर्तन हो जाता है..? ध्वज पुल्लिंग और ध्वजा स्त्रीलिंग के रूप में प्रयोग होता है?...कृपया शंका समाधान करें...
Comment by आशीष यादव on March 29, 2011 at 7:09pm
आचार्य जी सादर प्रणाम
कभी-कभी शब्दों को पढ़ कर एक दुविधा सी उत्पन्न हो जाती है,
जैसे की हाथी पुलिंग है लेकिन लोग अक्सर गलत कर जाते है और लिख बैठते है की हाथी जाती है|
लेकिन मै यह कहना चाहता हूँ की कभी-कभी शब्दों को बदल देने से [ भले ही उनके अर्थ वही हों ] लिंग भी बदल जाता है जैसे की
सूरज का प्रयोग हम पुलिंग की तरह ही करते हैं जबकि सविता [ जो की पर्यायवाची है] प्रयोग स्त्रीलिंग में होता है|
मुझे इस पंक्ति
हौसलों की ध्वजा फहरा
पर अब भी संदेह हो रहा है,
कृपया मेरा संदेह दूर करें
 
आप का शिष्य
आशीष यादव
Comment by sanjiv verma 'salil' on March 25, 2011 at 2:09pm
धन्यवाद.
बिलकुल सही है. देखिये:
 
विजय पताका फहरा.
भारत का झंडा फहरा.
हौसलों की ध्वजा फहरा.
Comment by Tapan Dubey on March 24, 2011 at 3:44pm
बहे पत्थर
'सलिल' ठहरा ..

वाह क्या अंदाज है,
Comment by विवेक मिश्र on March 22, 2011 at 12:07pm

/बहे पत्थर
'सलिल' ठहरा/

/चमन सूखा
हरा सहरा/

(गहरे भाव हैं. सुन्दर अभिव्यक्ति.)

/हौसलों की
ध्वजा फहरा/ (क्या यह पंक्ति व्याकरण की दृष्टि से सही है? छात्र का ज्ञान बढ़ाएं.)

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