For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 किसी साहित्यिक गोष्ठी में पहली बार शामिल हुआ था वह I सीखने को आतुर मन !! चर्चा जोरों पर थी साहित्य का स्वरुप क्या हो ? असमंजस में पड़ गया वो !! दिल से लिखी गयी कुछ पंक्तियों के लिए कल कितनी कटु आलोचना सहनी पड़ी थी उसे I मन का लेखक अब लेखनी से त्रस्त होकर सोच रहा था कि ...... " किसके लिए लिखे वो ? " 

मीना पाण्डेय
बिहार
मौलिक व् अप्रकाशित

Views: 386

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 28, 2015 at 6:20pm
आदरणीय सुश्री मीणा पाण्डेय जी, एक बहुत ही सार्थक विषय लिया आपने अपनी लघु- कथा में, साहित्य का स्वरुप निर्धारित करने जैसी बात, और किसके लिए लिखे वह, क्यों कि जब भी स्थापित मूल्यों के विरुद्ध लिखेगा आलोचना तो झेलेगा ही , साहित्य में कोई नै बात लेकर प्रविष्ठ होना उतना ही कठिन होता है जितना एक रूढ़िवादी समाज में किसी रूढ़ि के खिलाफ आवाज उठाना , दोनों ही जगह आपको स्वयं स्थापित ठेकेदारों से सामना करना पड़ता है , क्योंकि जड़ता दोनों ही जगह होती है ,और जड़ तो फिर जड़ ही होता है , परिवर्तन को त्याज्य समझने वाला.
……… सिर्फ तीन पंक्तियों में इतनी बड़ी बात को कह डालना बहुत ही प्रशंसनीय है , बहुत बहुत बधाई, पर कहीं लिखने में कुछ अस्पष्ट रह गया है , उसे स्वयं देख लें।
सादर।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 28, 2015 at 1:41pm

आदरणीया मीनाजी, आप अपनी प्रस्तुति को स्वयं एक बार देख लें. लघुकथा के प्रस्तुतीकरण में तनिक सुधार अपेक्षित है.

क्या ’उलझन’ किसी का नाम है ? एकबारग़ी लगता तो ऐसा ही है. फिर प्रस्तुति के क्रम में ही आपका नाम, परिचय आदि अंकित हो गये हैं.

लघुकथा का विषय साहित्य के हिसाब से बड़ा प्रासंगिक है. इस विन्दु पर आपकी सोच सान्द्रता चाहती है, जानना सुखद लगा.

शुभेच्छाएँ

Comment by neha agarwal on April 28, 2015 at 1:38pm
वाह दी
Comment by Shyam Narain Verma on April 28, 2015 at 10:42am
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
37 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मनुष्य से आवेग जनित व्यवहार तो युद्धभा में भी वर्जित है और यहां यदा-कदा यही आवेग ही निरर्थक…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी हुई। मेरे प्रयास को मान देने के लिए…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपके…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"2122 - 1122 - 1122 - 112 / 22 हमने सीखा है ये धड़कन की ज़बानी लिखना दिल पे आता है हमें दिल की…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बे-म'आनी को कुशलता से म'आनी लिखना तुमको आता है कहानी से कहानी लिखना यह शेर किसी के हुनर…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय तिलकराज सर, बहुत समय बाद आयोजन के लिए ग़ज़ल कही है। आपको मेरा प्रयास पसंद आया जानकर ख़ुशी…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service