For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुनिया हँसेगी 
ये कैसा भय है
मात्र इस भय से
तुम उस रिश्ते पर
पूर्ण विराम लगाना चाहते हो
जिसका जन्म हुआ है
पावन भावनाओं के गर्भ से
क्या हँसी बाँटना पाप है 
नहीं ! 
तो फिर दुनिया के हँसने से
क्या परहेज है तुम्हें
हँसने से 
ईश्वर प्रसन्न होता है
आत्मा प्रसन्न होती है
अगर तुम्हारे और मेरे मिलन से
दुनिया हँसती है 
तो इससे भली बात क्या होगी 
तुम्हारे और मेरे लिये
आओ हम मिल जाते हैं 
हमेशा के लिये
और दुनिया को हँसा देते हैं
हमेशा के लिये 

उमेश कटारा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on March 12, 2015 at 7:23am

आदरणीय VIRENDER VEER MEHTA जी आभार

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 10, 2015 at 2:17pm

आदरणीय उमेश कटारा जी रचना बहुत सुन्दर  लगी .....विशेष कर 

हँसने से 
ईश्वर प्रसन्न होता है
आत्मा प्रसन्न होती है
अगर तुम्हारे और मेरे मिलन से
दुनिया हँसती है 
तो इससे भली बात क्या होगी 

.........बधाई स्वीकार  करे !

Comment by umesh katara on March 9, 2015 at 11:57pm

आदरणीयडॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 9, 2015 at 11:56pm

आदरणीय Shyam Mathpal जी शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 9, 2015 at 11:56pm

आदरणीय  Shyam Mathpalजी शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 9, 2015 at 11:55pm

आदरणीय  maharshi tripathiजी शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 9, 2015 at 11:55pm

आदरणीय  Hari Prakash Dubeyजी शुक्रिया

Comment by umesh katara on March 9, 2015 at 11:54pm

आदरणीय  Neeraj Kumar 'Neer'जी शुक्रिया

Comment by Neeraj Neer on March 9, 2015 at 10:23pm

बहुत बढ़िया,  अच्छे भाव .... 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 9, 2015 at 10:03pm

आदरणीय उमेश कटारा जी सुन्दर भावों से परिपूर्ण रचना है ,हार्दिक बधाई आपको !सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
yesterday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service