For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल ~ बडा मासूम सा एहसास

1222 1222 1222 1222

बडा मासूम सा एहसास तेरी दोस्ती का है ।
मुकद्दर ने दिया तोहफा मुझे ये जिन्दगी का है ।

हो जन्मोँ का कोई बिछडा हुआ साथी मिला जैसे ,
न पूछो कौन सा मंजर मेरे दिल मेँ खुशी का है ।

हजारोँ लोगोँ से मिलकर लगा यूँ देख ली दुनिया ,
मगर कहता रहा दिल इंतजार अब भी किसी का है ।

कहीँ खोया सा रहता हूँ जगा सोया सा रहता हूँ ,
असर ये हो न हो , बेशक , तेरी जादूगरी का है ।

मुहब्बत के नशेमन मेँ न जाने कौन सा रिश्ता ,
लबोँ पे मुस्कराहट और आँखोँ मेँ नमी का है ।

ये दिल की सरफिरी बातेँ महज कुछ चंद लफ्जोँ मेँ ,
सलीके से बयाँ करना हुनर बस शायरी का है ।

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज मिश्रा

Views: 703

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by mrs manjari pandey on December 17, 2014 at 9:39pm
खूबसूरत सी गजल के लिए बधाई स्वीकारें श्रीमन।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 17, 2014 at 8:33pm

वाह नीरज जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है दिली दाद कुबूल करें

Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:11pm
आदरणीय प्रकाश दुबे जी बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:09pm
आदरणीय सोमेश जी आपका बहुत बहुत आभार व अभिनंदन ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:08pm
आदरणीय मिथिलेश जी आप का बहुत बहुत आभार ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:07pm
आदरणीय विजय निकोर जी बहुत बहुत धन्यवाद ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:05pm
आदरणीय विजय शंकर जी आपके प्रति बहुत बहुत आभार प्रकट करता हूँ ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:04pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी आप से बहुत बहुत अविभूत हूँ आप का स्नेह यूँ ही बना रहे ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:02pm
आदरणीय गोपाल नारायण जी आपका बहुत बहुत आभार
Comment by Neeraj Nishchal on December 17, 2014 at 1:00pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service