For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चार पांच किक के बाद किसी तरह स्कूटर स्टार्ट हुई मास्साहब की | पसीना पोंछते हुए जैसे ही बैठने को हुए कि एक गाड़ी आकर रुकी | गाड़ी से उतरकर उस नौजवान ने मास्साहब के पैर छुए और एक पैकेट उन्हें देने लगा |
वो अभी सोच ही रहे थे कि नौजवान बोला " सर , आपकी शिक्षा का ही सुपरिणाम है कि आज मैं कुछ बन पाया हूँ , आज के दिन इंकार मत करिये " | मास्साहब ने पलट कर एक नज़र दरवाजे पर खड़ी अपनी पत्नी की तरफ देखा और विनम्रता से पैकेट लौटाते हुए बोले " तुम्हारे आदर से बड़ी भेंट कुछ और नहीं हो सकती , जीवन में और तरक्की करो " |
पत्नी को अपने कहे शब्द " क्या कमाया है आपने आजतक " का उत्तर मिल गया था |

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 418

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on September 8, 2014 at 12:53pm
Comment by विनय कुमार on September 8, 2014 at 12:52pm

आभार अन्नपूर्णा बाजपेईजी..

Comment by विनय कुमार on September 8, 2014 at 12:51pm

आभार डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तवजी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 7, 2014 at 5:48pm

यही सच्चा गुरु- शिष्य सम्बन्ध है , यही होना भी  चाहिए , पर अब दोनों अपनी अपनी जगह से च्युत हैं , किसको कौन दोष दे | आपको सुन्दर लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई |

Comment by annapurna bajpai on September 7, 2014 at 5:26pm

वाह !!! अति सुंदर , लघु कथा बहुत बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 7, 2014 at 12:20pm

आदरणीय विनय जी

मुझे अपने शोध-गुरु डा0 पाण्डेय रामेन्द्र  की याद आ गयी i उनका निस्पृह व्यक्तित्व  मुझे हमेशा प्रेरणा देता है i  कालेज  के दोस्तों  में  बात हो रही थी i सब अपने अपने गुरु की प्रशंसा  में कसीदे पढ़ रहे थे i किसी ने कहा मेरे गुरु तो गंगा की भांति पवित्र हैं i दूसरे ने उससे पूछा  और रामेन्द्र सर ? छात्र ने जवाब दिया- अरे वह तो अमृत है i उनसा कोई नहीं i ऐसे है मेरे गुरु i मै उन्हें यहाँ प्रणाम करता हूँ i सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
13 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service