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आकाश में उड़ने की चाह लिये
कल्पना रूपी पंखों को फैलाने की कोशिश करता हूँ
पर
अक्सर नाकाम होता हूँ
उस ऊँची उड़ान में,
फिर भी आस लगाये रहता हूँ
कि कभी तो वो पर निकलेंगे
जो मुझे ले जायेंगे
मेरे लक्ष्य की ओर,
और अनवरत ही
बढता जाता हूँ
अथक प्रयास करते हुए
सुनहरे ख्वाब की ओर अग्रसर करने वाले पथ पर।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 427

Comment

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Comment by Pawan Kumar on August 21, 2014 at 2:51pm

आदरणीय  सौरभ पाण्डेय  जी आपका आशीर्वाद मिला,  प्रशंसा के लिए ह्रदय से आभार|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 17, 2014 at 5:11pm

अवश्य प्रयासरत रहें भाई पवनकुमारजी.

प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई.

Comment by Pawan Kumar on August 14, 2014 at 5:28pm

आदरणीय भईया राम शिरोमणि पाठक"दीपक", उत्साह वर्धन व प्रशंसा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Pawan Kumar on August 14, 2014 at 5:24pm

आदरणीया Dr.Prachi Singh जी आपका आशीर्वाद मिला, उत्साह वर्धन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद ।

Comment by Pawan Kumar on August 14, 2014 at 5:11pm

आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आपका आशीर्वाद मिला, आपने मेरी प्रथम कोशिश को सराहा, मन आल्हादित हुआ, आपकी प्रशंसा के लिए ह्रदय से आभार|

Comment by ram shiromani pathak on August 14, 2014 at 12:39pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति भाई पवन जी...........  प्रयासरत रहें शुभ शुभ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 14, 2014 at 8:11am

कल्पनाएँ ....संकल्प में ढल जाएं और हौसलों के पंख हों तो पंछी लम्बी उड़ान  अवश्य ही लेता है

प्रस्तुत कविता की सकारात्मक ऊर्जस्विता के लिए हार्दिक बधाई आ० पवन कुमार जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 13, 2014 at 8:53pm

कोशिशे अवश्य कामयाब होती है मित्र  i मै  इस कविता को आपकी रचना की कोशिश केरूप में देखता हूँ  iआपकी कोशिश अच्छी  है i

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