For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेघ निबह
श्याम श्वेत निर्मोही
भ्रम फैलाये
उड़ती घटा छाये
सूर्य आछन्न
दुविधा में फंसाए
काम बढाए
अकस्मात बरखा
बाहर डाले
कपड़े निकालते
फिर डालते
गृहलक्ष्मी दुचित्ता
क्रोध बढ़ाए
उलझौआ पयोद
वक्त कीमती
दुरुपयोग होता
वक्त भागता
सुना था कभी कही
खुद पे बीती
खीझ दुघडिया पे
भुनभुनाती
काम है निपटाने
प्रावृट् बदरा
तुझे सूझे नौटंकी
घुंघट ओढ़
हुई तू तो बावरी|
तंग गृहणी
मेघ निरंग निस्तारा
भ्रान्ति से छुटकारा| सविता मिश्रा
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 1118

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on August 6, 2014 at 7:39pm

जी ........आदरणीय गोपाल चाचाजी सादर आभार आपका

Comment by savitamishra on August 6, 2014 at 7:37pm

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 6, 2014 at 6:18pm

आदरणीया

इस शब्द पर काफी चर्चा हो गयी है i  मै पहले भी इसे स्वीकार किया था i अब मै शब्दकोष का सन्दर्भ नीचे दे रहा हूँ i आपका प्रयोग बिलकुल सही है i

प्रावृट्
संज्ञा पुं० [सं० प्रावृष्] वर्षा ऋतु। पावस। उ०— प्रावृट् में तव प्रांगण घन गर्जन से हर्षित।—ग्राम्या, पृ० ५७।
प्रावृट्काल
संज्ञा पुं० [सं०] वर्षाकाल [को०]।

Comment by savitamishra on August 6, 2014 at 5:10pm

प्रावृत बल्कि हमे नहीं मिला .... प्रावृत हो सकता है गलती से प्रावृट् हो गया हो डिक्शनरी में ..कृपया मार्गदर्शन अवश्य करे जैसे इस शब्द को बदल सकें हम इस चोका से

Comment by savitamishra on August 6, 2014 at 5:06pm

सौरभ भैया सादर नमस्ते...................अभी ढेढ़ दो घंटे में ट्यूशन से बेटा आ जाये फिर हम अर्थ देते है आपको डिक्शनरी का ...वैसे हो सकता हैं छपने में गलत हो यह तो आप सब जानकार ही बता सकते हैं ...एक आचार्य भैया हैं उनसे पूछते है जबाब देते है तो बताते है



आदरणीय गोपाल चाचाजी सादर नमस्ते ... "आप कम्पूटर में हिन्दी विक्षनरी में प्रा में देखिये मिल जायेगा" कैसे खोजते है डिटेल में बता दीजिये हम भी खोज सकें ..कभी एकाक बार ही हम कम्पूटर पर खोज पातें ...किसी शब्द के अर्थ के लिए क्या लिख खोजना होता है

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 6, 2014 at 11:14am

आदरणीय सौरभ जी !

आपके प्रश्न ने मुझे उलझन में डाल  दिया  i मुझे ऐसा विश्वास है की मानस में यह कहीं प्रयुक्त हुआ है  i पर कहाँ -- i यह ढूढना आसान नहीं है i पर यह शब्द मेरे लिए अपिरचित नहीं था i आप कम्पूटर में हिन्दी विक्षनरी में प्रा में देखिये मिल जायेगा i


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 5, 2014 at 9:33pm

मानस से प्रावृट शब्द से सम्बद्ध उद्धरण दें, आदरणीय गोपाल नारायन जी. हमें चूँकि यह शब्द इसी रचना के माध्यम से मिला है, अतः इसके सम्बन्ध में कुछ और जानने को उत्सुक हैं हम.

हमारी जानकारी में वस्तुतः इससे मिलता-जुलता एक शब्द है, प्रावृत.  जोकि विशेषण है. अर्थ है, प्रकृष्ट रूप से आवृत, पूरी तरह से ढका हुआ, घिरा हुआ.

Comment by savitamishra on August 5, 2014 at 9:06pm

आदरणीय चाचाजी सादर आभार आपका ..हमें यह नहीं पता था आपने जानकारी दी आभार दिल से

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 5, 2014 at 8:27pm

प्रावृट बदरा  बहुत अच्छा शब्द प्रयोग है  i   पावस का यह पर्याय मनोहारी है i मानस में तुलसी ने प्रयोग किया है i

सुन्दर रचना  i

Comment by savitamishra on August 5, 2014 at 8:06pm

 आदरणीय भंडारी भैया सादर नमस्ते ..... शुक्रिया आपका दिल से

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
yesterday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service