For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंतःकरण की शुद्धि

अंतःकरण की शुद्धि

सुबह में , शाम में,
वर्षा और घाम में,
जीवन के साम-दाम में,
अंतःकरण की शुद्धि चाहिए,

देवता के पूजन में ,
मन्त्रों के गुंजन में,
सज्जन और दुर्जन में,
अंतःकरण की शुद्धि चाहिए,

राग-वैराग्य में,
स्वार्थ और त्याग में ,
जीवन सौभाग्य में,
अंतःकरण की शुद्धि चाहिए,

दुःख में क्लेश में
किसी भी वेश में ,
दुर्भाग्य और भाग्य में,
अंतःकरण की शुद्धि चाहिए,

डॉ. विजय प्रकाश शर्मा
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1193

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on July 7, 2014 at 9:30am

आ० सौरभ पाण्डेय जी,
अपने इस कमजोर रचना के लिए खेद है परन्तु ख़ुशी इस बात की है की इस कारण ही आपका मार्गदर्शन पाने का अवसर मिला.
आपके बहुमूल्य सुझाव के लिए हार्दिक आभार.कोशिश करूंगा प्रस्तुति दुरुस्त हो. सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 12:47am

आपकी कई रचनाओं से गुजरने का सौभाग्य मिला है आदरणीय विजय प्रकाशजी. आपकी छोटी मगर धारदार अभिव्यक्तियाँ सहज ही प्रभावित करती रही हैं. और सच कहूँ तो इसीकारण आपकी रचनाओं का इंतज़ार भी रहता है. उस हिसाब से आपकी अबतक की सबसे कमज़ोर प्रस्तुति से गुजर रहा हूँ. ऐसा नहीं कि इस रचना ने पाठक के तौर पर मेरा ध्यान नहीं खींचा है.

सादर

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 27, 2014 at 8:34am

बहुत-बहुत आभार आ० प्राची जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 26, 2014 at 6:44pm

नित्य अन्तः प्रक्षालन ही चित्त की वृत्तियों को नियंत्रित कर मन वचन कर्म बुद्धि अहं को संतुलित रखता है... अन्तः करण की शुद्धि को दरकिनार कर आज व्याप्तता जाता अनैतिक आचरण ही तो सारी समस्याओं का मूल कारण है 

शुद्ध अन्तः करण ही पूरी पारदर्शिता के साथ हर परिस्थिति में हर सत्य को पहचान सकता है

इस प्रस्तुति पर मेरी बधाई स्वीकारिये आ० विजय प्रकाश शर्मा जी 

Comment by vijay nikore on June 23, 2014 at 11:34pm

रचना के भाव सराहनीय हैं। बधाई, आदरणीय विजय जी।

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 23, 2014 at 11:25pm

आ० भाई गिरिराज भंडारी जी,आपके सराहना के शब्द तो रचना को नया आयाम दे डालते हैं.आपका सदैव आभारी.
विजयप्रकाश.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 22, 2014 at 7:29pm

आदरणीय विजय प्रकाश भाई , सत्य वचन , सही सलाह , ये हो जाये तो सब कुछ सँवर जाये । बधाइयाँ ।

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 22, 2014 at 3:58pm

आ ० डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी आप के उदगार इस रचना से उद्वेलित हुए.आपका आभार .

दस्यु को महाकवि में बदल दिया है-मात्र एक घटना ने -यत्क्रौंच मिथुनादेकम्-------
अंगुलिमाल की कथा भी सामने है." मरा" से "राम" में बदलने में वक़्त नहीं लगता.
,

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 22, 2014 at 12:16pm

दुर्जन का अंतःकरण  शुद्ध हो जाये  तो सारा विश्व समरस हो जायेगा  i  काश !

Comment by Dr.Vijay Prakash Sharma on June 22, 2014 at 10:01am

आपका निरंतर मेरे रचनाओं को सराहना मुझे संजीवनी देता है. हार्दिक अभिनन्दन जीतेन्द्र जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service