For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लखनऊ चैप्टर की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन कानपुर मे - एक रिपोर्ट

हिन्दी साहित्य को नित नई दिशा मिले और साहित्य का संवर्धन हो इस अभिलाषा से हम काव्य गोष्ठियों का आयोजन हर माह करते है । इस बार ओ बी ओ लखनऊ चैप्टर की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन कानपुर मे अन्नपूर्णा बाजपेई के आवास पर सम्पन्न हुआ । जिसकी अध्यक्षता पं0 चन्द्र शेखर बाजपेई जी ने की , कार्यक्रम का संचालन आ0 सुरेन्द्र गुप्त ‘ सीकर’ ने किया । जिसमे ओ बी ओ लखनऊ चैप्टरके संयोजक आदरणीय शर्देंदु मुखर्जी जी , आ0 कुंती मुखर्जी दी , सुश्री नीतू सिंह , आ0 मनोज शुक्ल ‘ मनुज’  की सहभागिता ने अनुगृहीत किया । बाकी अन्य लखनऊ के सदस्य अपनी व्यस्तताओं के कारण  आयोजन मे प्रति भाग न कर सके ।


कानपुर से हमारे प्रबुद्ध साहित्य कारों मे आ0 कृष्ण कान्त शुक्ल , आ0 कृष्ण कान्त अग्निहोत्री , आ0 सत्यकाम सिरीष , आ0 राम कृष्ण चौहान , आ0 रमेश मिश्र ‘आनंद’ , आ0 मनीष ‘मीत’ , आ0 नवीन मणि त्रिपाठी , आ0 हेमंत पांडे , आ0 नन्हें लाल तिवारी , आ0 गिरिजा शंकर त्रिपाठी ‘सर्व’ , आ0 कन्हैया लाल गुप्त ‘ सलिल’ ,आ0 शिव कंठ मिश्रा ,  आ0 चाँदनी पांडे , आ0 अनीता मौर्य ‘ अनु श्री’ , आ0 मीना धार द्विवेदी पाठक , अन्नपूर्णा बाजपेई ने प्रतिभाग किया । चार घंटे तक चले इस कार्यक्रम मे गीतो , छंदो और गजलों की समवेत स्वर लहरी एवं व्यंग्यों के माध्यम से लोगो को खूब गुदगुदाया ।

उनकी रचना के अंशों से आप भी आनंदित हो इस आशा के साथ आपके समक्ष –

 

आदरणीय कृष्ण कान्त शुक्ल जी ने बहुत ही सुंदर स्वर के साथ गीत प्रस्तुत किया उस रचना के अंश इस प्रकार देखिये -

तुम आए तो बजी बांसुरी

राग बंधे मन के

आदरणीय कृष्ण कान्त अग्निहोत्री जी ने व्यंग्य सुना कर सबको खूब हंसाया उनकी रचना मे समसामयिक परिवेश के लिए वेदना साफ झलकती है । 

 

आदरणीय रमेश मिश्र आनंद जी की रचनाओं ने हमे खूब भाव विभोर किया उनका एक दोहा देखें ---

नए नए उपमान हैं नए नए आकार ।

झीगुर , मेढक , ऊंट मिल , बना रहे सरकार ॥

आदरणीय सत्यकाम सिरीष जी की रचना देखिये –

धीरज सब तोड़ गई घायल सद्भावना ।

कब तक हम और सहें वादों की यातना ॥

सुरेन्द्र गुप्त ‘ सीकर’ जी का जितना सुंदर संचालन होता है उतनी ही सुंदर रचना , देखिये –

वो एक लफ्ज की खुशबू नहीं संभाल सका ।

मै उसके हाथ मे अपना कलाम क्या देता ॥

आदरणीय रामकृष्ण चौहान जी ने अपनी रचनाओं से मन मोह लिया , देखिये –

जिसको अपनाना चाहा , उससे ही लड़ बैठा ।

समझौते की गुंजाइश को त्याग , रहा ऐंठा ॥

मेरी ही ज़िंदगी रही मुझसे बिचकी बिचकी ।

आज हकीकत पर विचार कर फ़ूट पड़ी हिचकी ॥  

आदरणीय मनीष ‘मीत’ की गजल गायकी बहुत ही शानदार होती है हर बार की तरह उन्होने अपनी गजल से मन को मुग्ध किया , एक शेर देखें ---

निकट बहुत है चुनावों के दिन सजग रहना ,

सियासी जश्न लहू को उबाल देता है ॥

आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी ने अपने छंदो , मुक्तकों से आरंभ कर अंत मे एक गज़ल सुना कर हमे अल्हदित किया , उनका एक मुक्तक देखें –

वो शिगूफ़ों को तो बस यूं ही उछाल देते हैं ,

नफ़रतों का जहर , वो दिल मे डाल देते है ।

कितने शातिर है ये कुर्सी को चाहने वाले

अमन शुकू का कलेजा निकाल लेते है ॥

आदरणीय गिरिजा शंकर त्रिपाठी ‘ सर्व’ जी प्रयोग वादी कवि है उनकी रचनाओं मे प्रयोग वादिता झलकती है –

शुष्क अनुभूतियों खाया तरस

बिन खरीदे ही बाजार बिकते रहे

आदरणीय नन्हें लाल तिवारी जी के मधुर गीत बड़े लुभावने रहे , देखें –

रात की तन्हाइयों मे घेरती आकर सदायें

नाम लेकर फिर किसी ने मुझे घर से पुकारा ।

आदरणीया चाँदनी पांडे जो की मशहूर शायरा हैं अनेकों मंचो पर अपने कार्यक्रम दे चुकी हैं ई टीवी पर उनके दो इंटरव्यू भी आ चुके है वे उसी की रिकार्डिंग के पश्चात हमारे कार्यक्रम मे आईं थी , उनकी गजल से हम सराबोर हुये , एक शेर देखिये –

एक नेता जी जिंदगी से ऊब गए ,

बिना बताए गंगा जी मे डूब गए ।

जहां होनी थी पूजा वहाँ रैली हो गई ,

इसिस लिए राम तेरी गंगा मैली हो गई ।

 

आदरणीया अनीता मौर्य जी भी चाँदनी जी के साथ उसी इंटरव्यू की रिकार्डिंग से आईं थी , वे भी गजल गाती है , मंचों पर कार्यक्रम भी देती है ,  ने अपनी गजल सुना कर हमे अनुगृहीत किया , देखें ---

ये न सोचो कि खुशियों मे बसर होती है

कई महलों मे भी फाँको की सहर होती है

उसकी आँखों को छलकते हुये आँसू ही मिले

वो तो औरत है कहाँ उसकी कदर होती है ।

आदरणीय मनोज शुक्ल मनुज जी एक गीतकार एवं छंदकार हैं , उन्होने अपने छंद एवं एक अवधी गीत’ ज़िंदगी हुई गए आपनि रेल’  सुना कर अभिभूत किया , उनका एक मुक्तक देखिये ---

तेरे छल छंद की सब कोशिशें बेकार जाती हैं

नजर मेरी तेरी कातिल नजर को ताड़ जाती है

तेरी झूठी कहानी को है पल भर मे समझ लेती

नजर मेरी मुखौटों के भी होकर पार जाती है ॥

आदरणीया कुंती दीदी ने अपनी रचनाओं के संकलन से एक सुंदर रचना सुनाई , देखिये ---

मन ! एक बाग

पूरन मासी की रात

इच्छाओं के फूल

मुकुलित , सुरभित , मधुरित !

सुश्री नीतू सिंह ने अपने सुमधुर स्वर मे एक कविता एवं गजल सुनाई , कविता के अंश देखिये –

खुद थक कर भी मुझे बाहों के

झूले मे झुलाया जिसने वो मेरी माँ

आदरणीय शर्देंदु जी ने भी अपनी रचना सुनाई , देखिये ---

आदरणीय कन्हैया लाल ‘ सलिल’ जी ने बड़ी चुटीली रचना सुना कर सबको गुदगुदाया , देखें ---

प्लेट फार्म पर खड़ी है रेल आखिर जाएगी छूट..........

थर्ड क्लास की जनरल बोगी या ए सी मे बैठो

.नोटो भरे सूटकेस को सब करते सलूट ॥

अन्नपूर्णा बाजपेई ने घनाक्षरी छंदो से स्वागत किया ---

रूप मन भावन है मंद मंद मुस्कुराए

नन्हें नन्हें पैरों से वो दौड़ी चली आती है

अंत मे कार्यक्रम अध्यक्ष पं0 चन्द्र शेखर बाजपेई जी ने अपना मन मोहक गीत गाया , देखें  ---

तुम गए गया सुख छोड़ द्वार

बरबस दृग रहे अपलक निहार

तुम गए ......................

इसी के साथ अन्नपूर्णा बाजपेई के धन्यवाद ज्ञापन के साथ पुनः मिलन की आशा लिए सभी एक दूसरे से विदा हुये । 

 

Views: 1233

Reply to This

Replies to This Discussion

आदरणीया अन्नपूर्णा जी
पूरे कार्यक्रम को आपने जिस सहज अंदाज़ में प्रस्तुत किया है पढ़कर ऐसा महसूस हुआ की जैसे मैं स्वयं वहाँ उपस्थित हूँ. आपको इस आयोजन के लिए दिल से धन्यवाद देता हूँ.
सादर

आ0 मुकेश वर्मा जी आपका हार्दिक आभार । आगे कार्यक्र्म मे उपस्थित होने की अभिलाषा रखिए । हमे खुशी होगी । 

कार्यक्रम का सफल संयोजन और सुन्दर रिपोर्ट हेतु ढेरों बधाई अन्नपूर्णा जी 

मिला है मार्ग ऑंखों का, चलो ये भी नहीं कुछ कम

कभी मौका मिला तो आपको प्रत्‍यक्ष सुन लेंगे।

एक सफल आयोजन के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया अन्नपूर्णा जी. कानपुर के सभी उत्साही रचनाकारों को मेरा अभिनन्दन जिन्होंने अपना अमूल्य समय निकाल कर अपनी भाीदारी दर्ज की. लखनऊ से आये रचनाकार/सदस्य विशेष आदर के पात्र हैं.

सादर

कार्यक्रम की सफलता पर ह्रदय से बधाईयाँ आ० अन्नापूर्णा जी और सभी रचनाकारों को मेरी ओर से ढेर सी बधाईयाँ.

आदरणीया अन्नपूर्णा जी 

सादर 

महान विभूतियों से मिलने से वंचित रहा .खेद है. पर काल चक्र की नियति करती है नियंत्रित. 

शानदार आयोजन , उत्कृष्ट रचनाएँ 

समस्त को सादर बधाई 

इस आयोजन की सफलता पर बधाई 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली अपने थीम के अनुरूप ही प्रस्तुत हुई है.  हार्दिक बधाई "
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी दोहावली के लिए हार्दिक धन्यवाद.   यह अवश्य है कि…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी प्रस्तुति आज की एक अत्यंत विषम परिस्थिति को समक्ष ला रही है. प्रयास…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आवारा मदमस्त सी, नभ में उड़े पतंग ।बीच पतंगों के लगे, अद्भुत दम्भी जंग ।।  आदरणीय सुशील…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"दुःख और कातरता से विह्वल मनस की विवश दशा नम-शब्दों की रचना के होने कारण होती है. इसे सुन्दरता से…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढिया भावाभिव्यक्ति, आदरणीय. इस भाव को छांदसिक करें तो प्रस्तुति कहीं अधिक ग्राह्य हो जाएगी.…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"झूठ के विभिन्न आयामों को कथ्य में ढाल कर आपने एक सुंदर दोहावली प्रस्तुत की है, आदरणीय लक्ष्मण धामी…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . उल्फत
"आदरणीय निलेश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, दोहों पर आपके प्रयास सधे हुए हैं. किन्तु, कतिपय दोहे मूलभूत नियमों के…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों की सराहना के लिए हार्दिक आभार।"
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 176 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |इस बार का…See More
10 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ चौसठवाँ आयोजन है।.…See More
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service