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दो घनाक्षरी --- प्यारी गुड़िया के लिए

[1] 

रूप मनभावन है मंद मंद मुस्कराये

नन्हें नन्हें पाँव लिए दौड़ी चली आती है

बार बार सहलाती अपने कपोल वह

छोटी छोटी गोल गोल आँखें मटकाती है

अम्मा पहना के जब पायल संवारती हैं

दौड़ती तो झनक झनक झंझनाती है

कायल है दादा दादी नाना नानी सभी अब

ठुमक ठुमक कर खूब इतराती है ॥ 

[2] 

दादी अम्मा भोजन कराएं तो सताती वह

आगे आगे भागे पीछे अम्मा को छकाती है

कापी छीन लेती लेखनी वो तोड़ देती भाई

को है वो सताती और पापा को पकाती है

दीदी को तो अपनी सहेली मान बतियाती

ठुमक ठुमक दिन रात वो नचाती है

आंचल पकड़ माँ को खूब दुलराती नित्य

रच के कहानियाँ नई नई सुनाती है ॥

अन्नपूर्णा बाजपेई 

अप्रकाशित मौलिक 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 2, 2014 at 2:10am

गेयता पर मैं क्या कहूँ, आपके प्रयास पर साधुवाद कह रहा हूँ.

सतत रहें आदरणीया.. .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 1, 2014 at 7:47am

मधुर-मधुर सुन्दर घनाक्षरी आ० अन्नपूर्णा जी 

हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2014 at 8:32pm

आदरणीय अन्नपूरणा जी , सुन्दर छंद रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई !!

Comment by Alka Gupta on April 23, 2014 at 7:01pm

वाह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बहुत सुन्दर 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2014 at 2:29pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी सादर, सुन्दर मनभावन घनाक्षरी रची हैं. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.

कापी छीन लेती लेखनी वो तोड़ देती भाई,...."को है वो सताती और पापा को पकाती है...... ठीक नहीं लग रहा है गाकर देख लें.

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on April 23, 2014 at 1:11pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी
बहुत सुंदर लिखा है आपने ..पढ़ कर बहुत अच्छा लगा
इस विधा के बारे मे अंजान हूँ.. पर आपके कौशल का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं मेरे लिए.
बहुत मुबारक हो

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 23, 2014 at 12:17pm

ओह्ह माफ़ कीजियेगा आदरणीया गिनती वर्ण की ही की न जाने कैसे मात्रा लिख गया यही होता है जब ऑफिस में काम के साथ साथ रचनाओं पर टिपण्णी होती है. पुनः क्षमाप्रार्थी हूँ

Comment by annapurna bajpai on April 23, 2014 at 12:16pm

आ0 जितेंद्र जी , आ0 नीरज 'नीर' जी रचना pasand करने के लिए आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on April 23, 2014 at 12:12pm

प्रिय अरुण घनक्षरी पसंद करने के लिए हार्दिक आभार ।  एक बात स्पष्ट करना चहुंगी वो ये कि घनाक्षरी वार्णिक छंद है , मात्रिक नहीं और घनाक्षरी मे आधा अक्षर नहीं गिना जाता । इस लिहाज से दूसरी पंक्ति मे 15 वर्ण है । आप गिने पुनः । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 23, 2014 at 11:55am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी सर्वप्रथम छंद पर प्रयास करने हेतु हृदयतल से हार्दिक बधाई स्वीकारें. आपने घनाक्षरी पर बहुत ही श्रम किया है प्रथम छंद तो बहुत ही सुन्दर बन पड़ा है द्वतीय छंद में प्रवाह बाधित लग रहा है एवं द्वतीय पंक्ति में एक मात्रा अधिक है जाँच लें, बहरहाल इस सुन्दर प्रयास पर बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

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