For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

          ४७ वर्षीय बृजेश नीरज का काव्य-संग्रह ‘कोहरा सूरज धूप’ अनेक कोणों से पाठक का ध्यानाकर्षण करता है. सबसे पहले तो मुझे इस संग्रह में शब्द-लय और अर्थ-लय  की अविराम अनुभूति हुई. आज की मुक्त-छंद और छंद-मुक्त कविताओं में जिस अनपेक्षित खुरदुरेपन के दर्शन होते हैं, वह बृजेश नीरज के यहाँ न के बराबर है. उसका कारण संभवतः यही है कि बृजेश गीत और नवगीत की पृष्ठभूमि से आते हैं.

          अपनी कविताओं में बृजेश नीरज ने जीवन की प्रत्येक छोटी-बड़ी घटना को कविता का विषय बनाया है. एक ईमानदार और जागरूक रचनाकार के तौर पर अपनी रचनाओं में बृजेश अपने परिवेश, देश, काल, समाज से जुड़े हुए दिखाई देते हैं.

          रोजी-रोटी का संघर्ष व्यक्ति को प्रणय के चरम क्षणों में भी याद रहता है. इसके लिए उनकी कुछ काव्य-पंक्तियाँ-

तुम्हारे आगोश में

भूल जाता हूँ

सारे कष्ट

लेकिन

रात की शीतलता में भी

चुभती है एक बात कि

शेष है

कल की रोटी का जुगाड़

          वर्तमान व्यवस्था झुग्गी-झोपड़ी में जन्मे बच्चे को जन्म के साथ ही ‘रोटी’ की फ़िक्र में मुब्तिला कर देती है. ऐसे बच्चों में झरनों जैसा उत्साह और उच्छ्र  उच्छ्रिख्लता कहाँ? बचपन में ही ऐसे बच्चे अपना खिलखिलाता बचपन बहुत पीछे छोड़ आते हैं. वे बहुत जल्दी वयस्क हो जाना चाहते हैं. बृजेश नीरज की कुछ पंक्तियाँ-

व्यवस्था के पहिये टेल

दमित बचपन

बेचैन था वयस्क हो जाने को

          इस प्रकार बृजेश नीरज ने वर्तमान समय में अपने परिवेश में व्याप्त प्रत्येक विसंगति विषमता एवं शोषण-उत्पीडन के साथ मनुष्य के जीवन-संघर्ष एवं उसकी जिजीविषा को जांचा-परखा है.

          एक समर्थ रचनाकार होने के बावजूद ‘अपनी बात’ में बृजेश नीरज कहते हैं- ‘साहित्य के विशाल सागर में रचनाकार के तौर पर मेरी हैसियत कण के बराबर भी नहीं.’ लेकिन, बृजेश जी याद रखिये ऐसी ही अरबों-खरबों बूँदें मिलकर साहित्य के विशाल समुद्र का निर्माण करती हैं.

          मुझे लगता है- बृजेश नीरज साहित्य यात्रा में लम्बा सफ़र तय करेंगे. ‘कोहरा सूरज धूप’ तो उनकी काव्य यात्रा का पहला पड़ाव है.

          - जहीर कुरैशी

            (गज़लकार)

                भोपाल

Views: 962

Replies to This Discussion

आदरणीय बृजेश 'नीरज' जी के ज़मीनी रचनाकर्म को जितना मैंने समझा है...जाना है... उससे शब्दशः हामी भरती आदरणीय ज़हीर कुरैशी जी की "कोहरा सूरज धूप' पर समीक्षा से गुज़रना बहुत अच्छा लगा..

रचनाओं में रचनाकार अपनी अन्तःवाणी को शब्द देता है और समीक्षा भी जब उसी अन्तःवाणी की प्रतिध्वनि सी सुनाई देती है तो रचनाकार भी अपनी रचनाओं की सम्प्रेशानीयता पर आश्वस्त होता है साथ ही पाठकों का भी पुस्तक से बिलकुल सही परिचय होता है...

ऐसी ही इस समीक्षा के लिए मैं आ० ज़हीर कुरैशी जी की समीक्षा के प्रति सहमत हूँ और आदरणीय बृजेश जी को उनके काव्य संग्रह 'कोहरा सूरज धूप' पर हार्दिक बधाई देती हूँ.

आदरणीया प्राची जी आपका हार्दिक आभार!

ग़ज़ल की नई विचार धारा के झंडा-बरदार आदरणीय ज़हीर क़ुरेशी द्वारा पुस्तक ’कोहरा सूरज धूप’ के कवि के प्रति यह कहा जाना कई अर्थों में उनके काव्य प्रयास को परिभाषित करता है - मुझे इस संग्रह में शब्द-लय और अर्थ-लय  की अविराम अनुभूति हुई. आज की मुक्त-छंद और छंद-मुक्त कविताओं में जिस अनपेक्षित खुरदुरेपन के दर्शन होते हैं, वह बृजेश नीरज के यहाँ न के बराबर है.

ज़हीर क़ुरेशी साहब द्वारा हुई समीक्षा संक्षिप्त किन्तु अत्यंत सान्द्र है. इस सारगर्भित समीक्षा के लिए जहाँ कवि बृजेशभाई उनके आभारी हैं, हम जैसे पाठक संतुष्ट !
शुभ-शुभ

आदरणीय सौरभ जी आपका हार्दिक आभार!

आपकी रचनाएँ यथार्थ के धरातल से जन्म लेती है। हमने सभी ने आपकी रचना की सर्वव्यापकता को देखा है। आ0 कुरैशी जी की समीक्षा के रूप में आपकी पुस्तक से परिचय हुआ है। आपके काव्य संग्रह के आगमन पर आपको हार्दिक बधाई प्रेषित करती हूँ

आदरणीया गीतिका जी आपका हार्दिक आभार!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
17 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
17 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service