For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दामन के दाग गजल

बात भी दिल की तुझे हम अब बतायें कैसे

साथ जो हमने बिताये पल भुलायें कैसे

बंद रखना तू न ओठों को बता दे इतना

बात जो दिल पर लिखी तुमने मिटायें कैसे

मौत भी करती रही है वेवफाई मुझसे

पास हम अपने बुलायें तो बुलायें कैसे

आपकी तो चाहतो में खुद जले थे ऐसे

लाश भी कोई हमारी अब जलायें कैसे

खोल कर अपने लबों को तू बता दे यारा

दाग दामन पर लगे हैं वो धुलायें कैसे

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

Views: 737

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2014 at 11:06am

आपके आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन का सदैव आकांक्षी.. मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें, आदरणीय Saurabh Pandey जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 17, 2014 at 12:38am

बह्र को निभाने के लिहाज से आपकी एक सफल कोशिश देख रहा हूँ. वैसे एक जगह काफ़िया पर बात अटक गयी दिखी. जैसे - लाश भी कोई हमारी अब जलायें कैसे...  कोई के बाद जलायें ? या जलाये ? यदि  जलायें तो भाषा व्याकरण के अनुसार गलत .. जलाये तो काफ़िया गलत. बहरहाल आपकी कोशिश भली लगी है.. भाईजी 

Comment by Akhand Gahmari on April 6, 2014 at 2:57pm

आपके आर्शीवाद एवं मार्गदर्शन का सदैव आकांक्षी मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें। आदरणीय Baidyanath Saarthi जी

Comment by Akhand Gahmari on April 6, 2014 at 2:56pm

आपके आर्शीवाद एवं मार्गदर्शन का सदैव आकांक्षी मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें। आदरणीय गिरिराज भंडारी जी

Comment by Akhand Gahmari on April 6, 2014 at 2:56pm

आपके आर्शीवाद एवं मार्गदर्शन का सदैव आकांक्षी मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें। आदरणीय जितेन्‍द्र गीत जी

Comment by Akhand Gahmari on April 6, 2014 at 2:56pm

आपके आर्शीवाद एवं मार्गदर्शन का सदैव आकांक्षी मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें। आदरणीय अखिलेश कष्‍ण जी

Comment by Akhand Gahmari on April 6, 2014 at 2:55pm

आपके आर्शीवाद एवं मार्गदर्शन का सदैव आकांक्षी मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें। आदरणीया coontee mukerji जी

Comment by coontee mukerji on April 6, 2014 at 1:13pm

बहुत मार्मिक गज़ल आशिक के खून से लिखे हों जैसे.....गहमरी जी जो रचना पाठक के दिल छू जाए वहीं सार्थक रचना होती है.बधाई.

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on April 5, 2014 at 12:42pm

अच्छे भाव और सुंदर शब्दों के साथ गज़ल कही। बधाई 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 4, 2014 at 9:37pm

आपकी तो चाहतो में खुद जले थे ऐसे

लाश भी कोई हमारी अब जलायें कैसे

खोल कर अपने लबों को तू बता दे यारा

दाग दामन पर लगे हैं वो धुलायें कैसे.............वाह! क्या बात कही. इन शेर पर बहुत बहुत बधाई आदरणीय अखंड जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
21 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service