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प्रवाह ...मेरी शब्द यात्रा

प्रवाह याने बहाव, जो एक निरंतरता का सूचक है.प्रवाह किसी भी बात के लिए हो सकता है चाहे वो विचारों के लिए हो या फिर पानी का, या फिर जीवन धारा का. - उसके मूल में है सिर्फ चलते रहना, ठीक मानव जीवन की तरह-

 

एक शब्द है जीवन धारा- जो यही दर्शाता है की इन्सान का जीवन चलते रहने का नाम है यदि ये निरंतरता खंडित होती है तो या तो मानव जीवन समाप्त हो गया है या हमारे जीवन में एक जड़ता आ गई है .


जीवन में प्रवाह आवश्यक है यदि ये रुक जाये तो अपना महत्व खो देता है और व्यक्ति को अपने इर्द-गिर्द सब कुछ जड़ लगें लगता है और उसे अपने जीवन के प्रति एक उदासीनता का भाव आ जाता है, उसे अपना जीवन अर्थहीन लगने लगता है, बहुधा ये तभी होता है जब हम अपने प्रयासों में निरंतरता याने प्रवाह नहीं रखते और थोड़े प्रयासों से ही बहुत कुछ की चाहत करने लगते हैं, एक और स्थिति  में भी हमारे जीवन का प्रवाह रुक जाता है जब हम भावनात्मक रूप से या संवेदना के स्तर पर आहात होते हैं तो हमारा जीवन के प्रति विश्वास कमजोर पड़ जाता है और यही हमारे जीवन के प्रवाह को कम कर देता है या रोक देता है . इस स्थिति से हमें स्वयं ही बाहर निकल पड़ता है लोग आपकी सहायता तो कर सकते हैं पर अपनी स्थिति से उबरना खुद को ही पड़ता है और मानव जीवन है तो उसके प्रवाह को बनाये रखना हमारी  जिम्मेदारी है .

विचारों का प्रवाह हमे निरंतर गतिशील रखता है विचार है तो उनपर सोचने की प्रक्रिया ही विचारों का प्रवाह है अपने आसपास के वातावरण के प्रति हमरी प्रतिक्रिया हमारे विचारों के प्रवाह से ही झलकती है. विचार हमें आभास करते हैं की हम मानव हैं और हमारा जीवन उपयोगी और कीमती है उसे व्यर्थ न जाने दें...........विचारों में प्रवाह हमारी चेतना से जुड़ा है.विचारों में बहाव हमें विचारों को परिष्कृत करता है और दूसरों की भावनाओं और संवेदनाओं को बेहतर ढंग से समझने में हमारी सहायता करता है .

 

जल बिना प्रवाह के अपना वजूद खो देता है, जल का प्रवाह हमें जीवन से जोड़ता है और उसके प्रवाह का ध्यान हमें ही रखना होगा, जल का प्रवाह ये सन्देश भी देता है की मानवीय भावना और प्यार हमेशा उपर से नीचे याने माता-पिता से अपनी संतान की और प्रवाहित होता है.


आइये हम भी प्रवाह से जुड़े और अपने रिश्तों को मजबूत करें .

  

उपरोक्त रचना मौलिक एवं अप्रकाशित है।

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Replies to This Discussion

मस्तिष्क का स्फूर्त और त्वरित होना ही जीवन प्रवाह है ,वहीं हमारे आतुरता को सार्थक दिशा और उदेश्य को सार्थकता देने में सक्षम है |
"चरैवेति " अपने जीवन दर्शन में श्रुति से दिक्दर्शीत है |
'चलना ही जिंदगी है ,रुकना ही मौत तेरी |'
बधाई एवं साधुवाद वीणाजी ! सुंदर प्रस्तुति |
























\

चेतनता का आह्वान करते हुए आपके विचारों का प्रवाह बड़ा ही प्रभावी है.

जीवन को जीवन्त बनाये रखने के लिए आपने जिस विन्दु पर प्रकाश डाला है...सच में अनुकरणीय है आदरणीया वीणा जी।

सादर बधाई इस महत्वपूर्ण लेख के लिए।

वीना  जी

प्रवाह को आपने विषय बनाया i उसको जीवन से जोड़ा i  यह  सोच बड़ी पुरानी है  है i  पर आपकी अभिव्यक्ति सुन्दर है i   इसीलिये सामग्री  पठनीय बन पडी है i आपको सुन्दरालेख के लिए बधाई i

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"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
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"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
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"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
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"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
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"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
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"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
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"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
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"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
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"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
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"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
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"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
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