For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किसी गली के नुक्कड़ पर
लगा दीजिये
किसी भी प्रसिद्ध नाम का पत्थर
वो उस गली की
पहचान हो जायेगा
वो नाम
सबकी जान हो जायेगा
कभी गलती से
किसी ने अगर उस पत्थर को
तोड़ने की कोशिश भी की तो
दंगाईयों का काम
आसान हो जायेगा
जी हाँ
नेताओं के लिए
चुनाव के निशान
पुजारी के लिए
तिलक के निशान
उनकी जान होते है
उनके व्यवसाय की
पहचान होते हैं
जाने क्योँ
लोग वाह्य आवरण को
अपनी पहचान बनाते हैं
उधार के निशान से
अपने व्यवसाय की
मांग सजाते हैं
भूल जाते हैं
उन निशानों के
मूल रचयिताओं को
जो आज तक
उनकी कुर्बानियों से महान हैं
तभी तो आज तक
उन निशानों की
जन मानस में
अपनी विशिष्ट पहचान है
कुर्सी का आसन ग्रहण करने से
या तन पर वस्त्र धारण करने से
वाह्य पहचान तो बदल जायेगी
लेकिन अगर आचरण ही न बदला तो
यही पहचान
स्वयं को धोखा दे जायेगी
भरी महफ़िल में
किरकिरी करायेगी
किसी भी वस्त्र में फिर
नग्नता न छुप पायेगी
सिर्फ इक बार
निशान में छुपी महानता के अनुरूप
स्वयं को बदल कर देखो
फिर किसी उधार के निशान से
किरकिरी न हो पायेगी
स्वयं का आचरण ही
स्वयं की पहचान बन जायेगी,स्वयं की पहचान बन जायेगी…….

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 591

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 13, 2013 at 3:18pm

aa.Dr.Prachi Singh jee rachna par aapkee prashansa aur anmol sujhaavon ka haardik aabhaar-kripya sneh bnaaye rakhain


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 13, 2013 at 8:55am

महान व्यक्तित्वों के नाम का छदम आवरण धारण करने वाले बहुरूपियों के लिए सुन्दर सन्देश देती रचना पर बधाई सुशील सरना जी..

इस अतुकांत अभिव्यक्ति में आपने कहीं कहीं तुकांतता का निर्वहन करके प्रवाह देने की कोशिश की है..फिर भी बीच बीच में कथ्य को सपाट बयानी सा भी प्रस्तुत किया गया है..जिससे बचने का प्रयास होना चाहिए.

वैसे ये सब सतत लेखन और अन्य अतुकांत प्रस्तुतियों को पढने से स्वतः ही सधता चला जाता है..

सादर शुभकामनाएं 

Comment by Sushil Sarna on December 11, 2013 at 12:01pm

आदरणीय कुंती मुख़र्जी  जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसात्मक प्रतिक्रिया हेतु तहे दिल से शुक्रिया  

Comment by coontee mukerji on December 10, 2013 at 10:39pm

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति.

सादर

Comment by Sushil Sarna on December 10, 2013 at 12:36pm

आदरणीयजितेन्द्र गीत   जी  रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on December 10, 2013 at 12:36pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी  रचना पर आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on December 10, 2013 at 12:35pm

आदरणीय शिज्जू शकूर जी  रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार 

Comment by Sushil Sarna on December 10, 2013 at 12:30pm

आ. मीना पाठक जी रचना पर आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 10, 2013 at 8:51am

बहुत बढ़िया , वर्तमान के सच को सुन्दरता से चित्रित करती हुयी कविता बधाई स्वीकारें आदरणीय शुशील जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 10, 2013 at 8:01am

आदरणीय , बहुत सुन्दर कविता लिखी है , व्यंग भी है सच्चाई भी !!!! आपको बधाइयाँ !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service