For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

याद रखना, कुछ बातें ज़ुबां से न कहीं जातीं हैं।

अब ये तन्हाइयाँ हमें डरातीं हैं,
अक्सर तुम्हारी याद दिलातीं हैं।
ये होंठ ख़ामोश रहते हैं अब तो
और आँखें बस आँसू बहातीं हैं।
तुम मुझसे इतने दूर हो गए क्यूँ
कि न ख़बरें तुम्हारी पास आतीं हैं।
यूँ तो कुछ भी नहीं रहा पहले-सा
जाने क्यूँ तुम्हारी यादें सतातीं हैं।
हर दिन बीतता है तेरे इंतज़ार में,
न तू और न हिचकियाँ ही आतीं हैं।
तुझे देखे हुए,सुने हुए अरसा बीता,
पर तेरी बातें मुझे अब भी रूलातीं हैं।
अपनी मुहब्बत का यकीं दिलाऊँ तुझे कैसे,
ये ज़ुबां,ये आँखें न तुमसे कुछ कह पातीं हैं।
कहने-सुनने को अभी बहुत कुछ बाकी है,
पर मुझे तुम्हारी खामोशियाँ मार जातीं हैं।
तेरे लिए तिल-तिल मरने का ग़म नहीं मुझे,
याद रखना, कुछ बातें ज़ुबां से न कहीं जातीं हैं।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]

Views: 490

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 9, 2014 at 10:06am

तेरे लिए तिल-तिल मरने का ग़म नहीं मुझे,
याद रखना, कुछ बातें ज़ुबां से न कहीं जातीं हैं। 

बहुत खूब 

सादर बधाई 

Comment by Savitri Rathore on November 27, 2013 at 7:11pm

आदरणीय बसंत जी,जितेन्द्र जी और विजय जी नमस्कार ! मेरी भावाभिव्यक्ति को आत्मसात करने हेतु धन्यवाद।

Comment by विजय मिश्र on November 25, 2013 at 3:52pm
अंतर्मन की व्यथा रचना रूप में अभिव्यक्त , सुंदर ,साधुवाद सावित्रीजी
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 24, 2013 at 9:38am

सच! इन्सान कुछ अपने अन्तर की भावनाएं, बयां नहीं कर सकता, सुंदर रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीया सावित्री जी

Comment by बसंत नेमा on November 23, 2013 at 3:03pm

आदरणीया जी ...बहुत सुन्दर भाव दिल के दर्द् को बहुत ही खुबसुरत अन्दाज मे बँया किया है आप ने लेखनी से ....... बधाई शुभकामनाये 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
14 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service