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लबों से आज गायब हो गई मुस्कान है
अजब सी अब परेशानी लिए इन्सान है /
कभी तो दिन भी बदलेंगे ,मिलेगा चैन तब
दुखों का अंत होगा तब यही अनुमान है /
गिले शिकवे यूँ अब हावी हुए रिश्तों पे हैं
लगा अब दांव पर परिवार का सम्मान है /
किसे अपना कहें किसको पराया हम कहें
यहाँ हर चेहरे की अब छुपी पहचान है /
रचे हैं साजिशें गहरी मगर अब सोचते
जफ़ा पाकर खुदी का डोलता ईमान है /
..............................................
...........मौलिक व अप्रकाशित.........
Comment
आदरणीय वीनस जी तह दिल से शुक्रिया मार्गदर्शन बनाए रखें
ब्रिजेश नीरज जी शुक्रिया
आदरणीय राजेश जी हार्दिक आभार
भाई राम जी उत्साहवर्धन करते रहें ,शुक्रिया
आदरणीय अन्नपूर्णा जी हार्दिक आभार
एक और सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें
अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!
जय हो आपकी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, दाद कबूलें इस रचना पर, सादर
आदरणीया सरिता जी बहुत अच्छी ग़ज़ल है बहुत बहुत बधाई आपको //// सादर
सुंदर भावों से युक्त है आपकी गजल रचना आपको बहुत बधाई आ0 सरिता जी ।
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