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मंगल यान [कुण्डलिया]

मंगल मंगल को उड़ा ,बनकर मंगल यान
मंगल को कर कामना ,बढ़े देश की शान |
बढ़े देश की शान , नित्य ही उन्नति पायें
भारत मंगल गान , सभी दुनियां में गायें
सरिता कहे पुकार ,बढ़ो दुनियां में हरपल
हनुमन्ता का वार ,कामना करलो मंगल||

.................................................

.......... मौलिक व अप्रकाशित ..........

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Comment

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Comment by Sarita Bhatia on November 12, 2013 at 10:30am

आदरणीय भाई लक्ष्मण जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on November 12, 2013 at 10:30am

आदरणीय गोपाल जी शुक्रिया 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 8, 2013 at 9:51am

सुन्दर कुंडलिया छंद रचना के लिए बधाई आ सरिता जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 7, 2013 at 3:44pm

Excellent. You kept the norms of Kundalia accurately Congrats.

Comment by Sarita Bhatia on November 7, 2013 at 9:58am

शुक्रिया सचिन जी 

Comment by Sachin Dev on November 6, 2013 at 6:18pm

बहुत ही खूबसूरती से आपने सब कुछ मंगल - मंगल कर दिया आदरणीय सरिता जी...... बधाई आपको इस रचना पर ! 

Comment by Sarita Bhatia on November 6, 2013 at 4:34pm

शुक्रिया भाई राम जी 

Comment by Sarita Bhatia on November 6, 2013 at 4:34pm

अरे वाह 

शुक्रिया अरुण ,स्नेह बनाए रखें |

Comment by ram shiromani pathak on November 6, 2013 at 1:23pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया सरिता  जी  ।बहुत बहुत बधाई आपको। ..सादर

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 6, 2013 at 12:47pm

आदरणीया सरिता जी पहली बार आपका द्वारा रचित कुण्डलिया छंद सधा हुआ लगा शिल्प एवं प्रवाह भी अच्छा लगा मुझे सुन्दर रचना सार्थक सोच हार्दिक बधाई स्वीकारें.

कृपया ध्यान दे...

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