For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" एक इशारा अधूरा सा "-- अतुकांत ( गिरिराज भंडारी )

एक इशारा अधूरा सा

********************

छू कर

पहन कर

चख कर

देख लेते हैं

कभी खरीदते हैं

कभी यूँ ही लौट आते हैं

सब सही है

अमीरे शहर के लिये !!

दुत्कार है

डांट है

उपेक्षा है

भूख है ,

फटेहाली है

नंगे शहर के लिये !!!

लेकिन ,

जगमगाती,

बार बार जल बुझ कर

बुलाती सी रौशनी

पारदर्शी शो केश

सजी हुई चीजें

कपड़े –लत्ते

मिठाइयाँ

न जाने क्या क्या

आमंत्रण देती

मजबूर करती

देखने के लिये  

प्रेरित करती है

दोनो को

बराबरी से !!!!

कहीं वो न हो जाये

जिसका डर है

ठीक है ,

ये ज़ुर्म है ,

सजा भी है ,

पकड़े जायेंगे  

भोग भी लेंगे

सब मंज़ूर  !!!!!

पर उस शो केस का क्या ?

वो तो टूट ही चुका

बिखर गया

टुकड़ों –टुकड़ों में  

खामोश है

उदास है ,

अन्दर ही अन्दर

रोता , बिलखता

परित्यक्त सा ,

पड़ा है कोने में

अन्दर से बाहर तक

चकनाचूर !!!

तब !!!!!

एक प्रश्न खड़ा होता है

क्या शो केस

अपारदर्शी नहीं हो सकते ?

*************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 714

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 17, 2013 at 6:26pm

आदरणीय सौरभ भाई , रचना आपको कहीं छू पायी ये मेरे लिये सौभाग्य सूचक है , उत्साह वर्धक है !!!! आपका मार्ग दर्शन और स्नेह  हमेशा बनाये रखें !!!! आपका तहे दिल से शुक्रिया भाई जी !!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 1:29am

इस वैचारिक रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय गिरिराजजी. रचना वाचन के बाद मन प्रसन्न है. विलम्ब से आपकी रचना पर आ पाया हूँ इसका खेद है.  यह खेद अधिक मुखर है अब !

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 11, 2013 at 6:41pm

आदरणीय आशुतोष भाई , रचना की सराहना कर , उत्साह वर्धन के लिये आपका आभारी हूँ !!!!!!!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 11, 2013 at 3:40pm

आदरणीय गिरिराज जी ...बातों ही बातों में गहरी बात ..कवी की नजर कहाँ टकरा जाए ..पता नहीं ..इस रचना के लिए मेरी तरफ से हार्दिक बधाई स्वीकार करें ..सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 11, 2013 at 7:35am

आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी , आपकी प्र्तिक्रिया हमेशा मेरा उत्साह वर्धन करती आयी हैं !!!! आपका तहे दिल से शुक्रिया !!! आपके स्नेह का  सदा आकान्क्षी हूँ !!!!! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 11, 2013 at 7:32am

आदरणीय अजय भाई , रचना की सराहना के लिये आपका दिली शुक्रिया !!!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 11, 2013 at 7:31am

आदरणीय केवल भाई , रचना पर आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया  से मन प्रसन्न हुआ और हौसला भी बढ़ा !!!!! आपका बहुत बहुत आभार !!!!!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on October 10, 2013 at 11:59pm

पर उस शो केस का क्या ?

वो तो टूट ही चुका

बिखर गया

टुकड़ों –टुकड़ों में  

खामोश है

उदास है ,

संजीदा भाव ....काश ये बात लोग समझ पायें तो न ....टूट गया तो जुड़ता कहाँ है सब व्यर्थ अनर्थ ...सुन्दर रचना
गिरिराज भाई माह के सक्रीय सदस्य चुने जाने पर बधाई ये जोश और बढे समाज रोशन हो ...
भ्रमर ५

Comment by ajay sharma on October 10, 2013 at 11:08pm

बिखर गया

टुकड़ों –टुकड़ों में  

खामोश है

उदास है ,

अन्दर ही अन्दर

रोता , बिलखता

परित्यक्त सा ,

पड़ा है कोने में

अन्दर से बाहर तक

चकनाचूर !!!          wah wah aisi abhivakti ke liye ....shabdo ka tana bana jo  apne buna ,,,,,chitra khiichta hai lower middle class ki mazboori aur hatasha ka   ........ 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 10, 2013 at 8:29pm

आदरणीय भण्डारी भार्इ जी, जब कुछ अनछुए पहलू हमारे पास से सन्न से निकल जाते है। तब हम .....//अन्दर से बाहर तक
चकनाचूर !!!
तब !!!!!.---//.....सोचने को मजबूर हो जाते हैं। बहुत ही सुन्दर बिना किसी संकोच के सरस अभिव्यकित।.....ढेरों शुभकामनाएं। तहेदिल से बधार्इ स्वीकारें। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
14 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service