For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-38

परम आत्मीय स्वजन,

.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के 38 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार से मुशायरे के नियमों में कई परिवर्तन किये गए हैं इसलिए नियमों को ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें | इस बार का तरही मिसरा, ग़ज़ल के पर्याय मिर्ज़ा ग़ालिब की एक ग़ज़ल से लिया गया है, पेश है मिसरा-ए-तरह...

"क्या बने बात जहां बात बनाये न बने"

क्या/2/ब/1/ने/2/बा/2     त/1/ज/1/हाँ/2/बा/2    त/1/ब/1/ना/2/ये/2   न/1/ब/1/ने/2

2122     1122      1122       112

फाइलातुन फइलातुन फइलातुन फइलुन

(बह्र: रमल मुसम्मन् मख्बून मक्तुअ )

रदीफ़ :- न बने   
काफिया :-  आये (निभाये, हंसाये, जाये, सताये आदि)
विशेष: इस बह्र में पहले रुक्न २१२२ को ११२२ और अंतिम रुक्न ११२ को २२ करने की छूट है|
 

मुशायरे की अवधि घटाकर अब केवल दो दिन कर दी गई है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 28 अगस्त दिन बुधवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक 29 अगस्त दिन गुरुवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक  अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल  आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी । 

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन से पूर्व किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | ग़ज़लों में संशोधन संकलन आने के बाद भी संभव है | सदस्य गण ध्यान रखें कि संशोधन एक सुविधा की तरह है न कि उनका अधिकार ।

.

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  28 अगस्त दिन बुधवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.


मंच संचालक 
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह) 
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम 

Views: 19544

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीया मतले ने तो जैसे बाँध ही लिया ... बहुत शानदार मतला हुआ है

आगे के अशआर भी कमाल के हैं .... वाह वा वा

काश वो काम से ही आज इधर आ जाए

कि टलाये न टले और बिन आये न बने

 
अच्छी ख्वाहिश है :)))))))))))

रूठ जाऊं मैं अगर, उनसे मनाये न बने

कितना मासूम है दिलवर कि सताये न बने

 

चाहता हूँ कि कोई खास कहानी लिख दूँ

पर जो अहसास है दिल में वो जताये न बने

 

मंत्रियों को तो सियासत में गिरा देखा है

अबके रुपया भी गिरा इतना उठाये न बने

 

रात दिन सोचते हैं और यही कहते हैं

क्या बने बात जहाँ बात बनाये न बने

 

है ये सरकार महाभ्रष्ट मगर बहुमत है

हम अगर चाह भी ले तो ये गिराये न बने

 

साढ़े साती भी शनी की तो चली जाती है

पर ये मंहगाई है जो हम से भगाये न बने

 

भाव इतना भी बढेगा ये कहाँ जाना था

प्याज मंहगी हुई है इतनी कि खाये न बन

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

भाई बहुत  कुछ  नया है, अलग है। खूबसूरत। 

हौसला आफजाई के लिये धन्यवाद तिलक जी,

बहुत खूब भाई अजय कुमार जी.

बहुत बहुत धन्यवाद योगराज जी,

भाई अजय, मेरे जाने आप पहली दफ़ा ओबीओ के किसी आयोजन में भागीदारी कर रहे हैं. बहुत बहुत शुभकामनाएँ.

 
रूठ जाऊं मैं अगर, उनसे मनाये न बने
कितना मासूम है दिलवर कि सताये न बने .....   आपके मतले की कहन लाज़वाब हुई है. क्या महीनी है भाई !

चाहता हूँ कि कोई खास कहानी लिख दूँ
पर जो अहसास है दिल में वो जताये न बने.. . ..  सुन्दर अंदाज़ .. वाह भाई वाह. वैसे यह शेर कुछ और समय मांग रहा था. विशेषकर सानी में.

मंत्रियों को तो सियासत में गिरा देखा है
अबके रुपया भी गिरा इतना उठाये न बने.. .......  ये है नयी उमर की सोच..

रात दिन सोचते हैं और यही कहते हैं
क्या बने बात जहाँ बात बनाये न बने..........  ....गिरह का अंदाज़ भी अलहदा है. कहन में एक नकधुन्नी छिपी है जो बरबस आकर्षित करती है.

साढ़े साती भी शनी की तो चली जाती है
पर ये मंहगाई है जो हम से भगाये न बने..... ... ..साढ़े साती का क्या ही प्रयोग किया भाई ! वाह ...

भाव इतना भी बढेगा ये कहाँ जाना था
प्याज मंहगी हुई है इतनी कि खाये न बन... ..... प्याज महँगा होगा भाई. क्यों इसकी संज्ञा परिवर्तन पर उतारू हैं आप ?.. :-))))))))))

उम्दा कोशिश हुई है.

बने रहें और खुद को बनाये भी रहें.
शुभ-शुभ

बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ जी आशा है, आप इसी तरह से मार्ग दर्शन करते रहेंगे और अगर ईश्वर चाहेंगे तो आगे भी ओबिओ के आयोजनों में भाग लूँगा ... सादर

भाई अजय कुमार, पियजुआ का तो रूप दुरुस्त करवायें जी. संचालक या ऐडमिन से यहीं अनुरोध कर दें.

शुभ-शुभ

वाह वाह समसामयिक गज़ल के लिए बधाई आपको

धन्यवाद महिमा जी ....आभार

आदरणीय अजय जी 

साढ़े साती भी शनी की तो चली जाती है

पर ये मंहगाई है जो हम से भगाये न बने

भाव इतना भी बढेगा ये कहाँ जाना था

प्याज मंहगी हुई है इतनी कि खाये न बन

क्या बात हकीकत बयां करती गजल 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service