For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! पिया के घर चली रजनी !!!
गजल बह्र- 1 2 2 2, 1 2 2 2

सुहानी रात की रजनी,
सुमन सुख बेल सी रजनी।

बना है चांद दूल्हा जब,
सजी दुल्हन तभी रजनी।

चली बारात तारों की,
मगन आकाश सी रजनी।

करे परछन यहां आभा,
वहां सकुचा रही रजनी।

हवन आदित्य में पूरे,
किए फेरे जगी रजनी।

विदाई कर रहीं किरनें,
सिमट कर रो पड़ी रजनी।

किरन-आभा मिली जैसे,
फफक कर चीखती रजनी।

हुआ सावन झरे आंसू,
बिखर शबनम बनी रजनी।

उठी डोली, सखीं रोतीं।
पिया के घर चली रजनी।।

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 27, 2013 at 7:52pm

आ0 सौरभ सर जी,  सादर प्रणाम!  आपके अपार स्नेह और आशीष वचन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार। जी सर, आपके अपेक्षाओं के अनुसार मेरा सद्प्रयास जारी रहेगा।  सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 27, 2013 at 2:10pm

केवल प्रसादजी...  आपकी प्रस्तुति कई भाव-रचनाओं पर भारी है. आपकी संवेदना से यही अपेक्षित है, भाई.

दिल से ढेर सारी दाद व दुआएँ लीजिये.

बहुतखूब

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 25, 2013 at 8:02pm

आ0 मंजरी दी जी,  सादर प्रणाम!   आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by mrs manjari pandey on August 25, 2013 at 3:04pm

हवन आदित्य में पूरे,
किए फेरे जगी रजनी।

विदाई कर रहीं किरनें,
सिमट कर रो पड़ी रजनी।   रज्नी का क्या मार्मिक चित्रण किया है  आदरणीय केवल प्रसाद जी आपने , बहुत सुन्देर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 23, 2013 at 8:30pm

आ0 अमन भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत बहुत आभार।  सादर

Comment by aman kumar on August 23, 2013 at 2:05pm

अति  सुंदर.....

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 21, 2013 at 9:29pm

आ0 जितेन्द्र भाई जी,  आपके स्नेह, और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 21, 2013 at 9:28pm

आ0 अभिनव अरून भाई जी,  आपके स्नेह, समर्थन और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 21, 2013 at 9:26pm

आ0 अरून अनन्त भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से बहुत बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on August 21, 2013 at 9:25pm

आ0 भण्डारी भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हृदयतल से बहुत बहुत आभार।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
25 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service