For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंतस के शब्द....हाइकू

हाइकू का प्रथम प्रयास.....
------
---------
बिंदी काजल
नर के ही कारण
मैला आँचल
---------
बहे पसीना
नही चोख मजूरी
मुश्किल जीना
-------
गुडिया गिट्टी
दानव नर कामी
कर दी मिट्टी
--------
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 610

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by manoj shukla on May 3, 2013 at 5:51pm
आदर्णीय कुशवाहा जी... स्नेह बनाये रखें... सादर आभार
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 4:58pm

बिंदी काजल
नर के ही कारण
मैला आँचल

सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई, आदरणीय मनोज जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 29, 2013 at 3:12pm

अच्छी प्रस्तुति बधाई 

Comment by manoj shukla on April 29, 2013 at 3:11pm
सराहना हेतु पुनः सादर आभार आदर्णीय अशोक जी
Comment by manoj shukla on April 29, 2013 at 3:08pm
आपका हार्दिक आभार आदर्णीय राजेश जी ....
Comment by राजेश 'मृदु' on April 29, 2013 at 2:06pm

हाइकु आप निश्चित रूप से बहुत अच्‍छा लिखेंगें, आपके सारे हाइकु पसंद आए, सादर

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 28, 2013 at 11:28pm

सुन्दर प्रयास भाई जी.सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by manoj shukla on April 28, 2013 at 4:20pm
आदर्णीय अशोक जी सादर आभार आपका..... आपके बताये नियमानुसार मैने अपने पोस्ट मे कुछ परिवर्तन कर दिया....आगे और अच्छा प्रयास करेंगे...आपका हार्दिक आभार
Comment by Ashok Kumar Raktale on April 28, 2013 at 9:01am

भाई मनोज जी सादर, आपके हाइकु इस विधान पर खरे नहीं उतरते. इसका बिलकुल सीधा सा विधान है और इसमें 5-7-5 वर्णों की पंक्तियाँ होती है.शेष जानकारी भी मंच पर कई बार साझा की गयी है. 

गुडिया गिट्टी................5
दानव नर कामी.............7
कर दी मिट्टी...............5........मात्र यह एक हाइकु मात्रा के मान से सही लिखा है.

Comment by manoj shukla on April 28, 2013 at 8:39am
आदर्णीय केवल जी आपका हार्दिक आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
17 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
18 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
19 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service