For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नारी उत्थान 
महिलाओं की स्थिति में निरंतर सुधार
ऐसा कहते टीबी टीवी, अखबार
ऐसी ख़बरों का संकलन
कथनी करनी का आकलन 
"महिला आरझन आरक्षण बिल की बात संसद मै उठाई "
"महिला की सरेआम पिटाई 
नारी देवीतुल्य जननी
दहेज़ के खातिर टूटी मगनी मंगनी
महिला सशक्तिकरण का प्रचार
बढ़ते दुराचार 
बेटा बेटी की समाप्त धारणा
बेटी जन्मी, बहू को प्रताड़ना प्रतारणा 
नारी का उत्थान 
सफल बेटी बचाओ अभियान
चहुँ और बोल रही नारी की तूती 
नारी आज भी पैर की जूती
नारी पुरुष मै नहीं बिषमताएँ 
नहीं थमी भ्रूण हत्तयायें
नारी की गुलामी का समापन
नारी देह से होता विज्ञापन
नारी सभ्यता, संस्कार, नारी तमीज तमीज़
नारी तो केबल केवल भोगने की चीज चीज़
पुरुष प्रधान था आज भी प्रधान है 
नारी का जीवन बस त्याग व् बलिदान है
Dr.Ajay.Khare.Aahat

Views: 714

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 8:54am

आदनीय डॉ. अजय खरे साहब सादर, बहुत सुन्दरता से आज के परिद्रिश्य को प्रस्तुत किया है. जाना था जापान पहुँच गए चीन.... वाली स्थिति है. जहां दिनों दिन सभ्यता के विकास के साथ ही नारी समाज को जो उच्च स्थान मिलना था वह तो दूर आज जो स्थिति है वह सदैव निराश करती है. सुन्दर रचना. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by Usha Taneja on April 22, 2013 at 5:33pm

आदरणीय  Dr.Ajay Khare जी, नारी उत्थान के ढोल पीटने के बाद भी नारी की स्थिति में सुधार आने की बजाये अधिक बिगड़ी है. गंभीर समस्या को चिंतनपरक शब्दों में उकेरा है आपने.

सादर

उषा 

Comment by Dr.Ajay Khare on April 22, 2013 at 12:10pm

sabhi aatmiya jano sadhubaad

Comment by Shyam Narain Verma on April 20, 2013 at 3:31pm

 

आदरणीय,

 

बहुत सुन्दर भावों से भरी रचना हेतु बधाई हो ....................

Comment by coontee mukerji on April 20, 2013 at 2:09am

नारी को अपनी लड़ाई खुद लड़नी है.चाहे कितना बलिदान  अपने को क्यों न करना पड़े. रोना गिरगिराना  पुरूष समाज का मुँह ताकना 

कब तक चलेगा . हमारी जबान तो बहुत चलती है ,अगर हम थोड़ी हिम्मत और दिमाग के इस्तेमाल के साथ ही अपने हाथ पैर भी चलाना सीख जाएँ तो वह दिन दूर नहीं जब नारी  सर उठाकर  निर्भीकता से समाज में जी सकेगी . लेकिन जब तक अग्यान्ता अशिक्षा  नहीं हटेगी ये सिलसिला चलती रहेगी . शिक्षा के अतिरिक्त नारी समाज में जागरूक्ता की बड़ी आवश्यक्ता  है...क्योंकि अक्सर देखा गया है औरत दूसरी औरत के पतन का सबसे बड़ी भूमिका निभाती है . डाक्टर खरे जी आपकी रचना बहुत सारे

सवाल खड़े कर रहे हैं...........? सादर कुंती .

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 18, 2013 at 11:18pm

आदरणीय अजय खरे जी,  सार्थक कथ्य, सुन्दर व्यंग ।  हार्दिक बधाई स्वीकारे।  सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 18, 2013 at 9:48pm
कैसे हो नारी उत्थान
बहुत सुन्दर भावों से भरी रचना हेतु बधाई हो आदरणीय
Comment by वेदिका on April 18, 2013 at 7:34pm

बहुत खूब नारी उत्थान ....शुभेच्छाएं अजय जी!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 18, 2013 at 6:51pm

चहुँ और बोल रही नारी की तूती 
नारी आज भी पैर की जूती--------सामाजिक जागरुकता का अभाव 

नारी देह से होता विज्ञापन ------  नारी स्वयं भी दोषी है 
नारी सभ्यता, संस्कार, नारी तमीज तमीज़ 
नारी तो केबल केवल भोगने की चीज चीज़

नारी पर लिखने और सोंचने पर मज्ज्बूर करने के लिए बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service