For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक नन्हीं प्यारी चिड़िया...गजल

गजल...        

 

एक नन्हीं प्यारी चिड़िया, आज देखी बाग में।

चोंच से चूज़े को भोजन, कण चुगाती बाग में।

 

काँप जाती थी वो थर-थर, होती जब आहट कोई,

झाड़ियों के झुंड में, खुद को छिपाती बाग में।

 

ढूंढती दाना कभी, पानी कभी, तिनका कभी,

एक तरु पर नीड़ अपना, बुन रही थी बाग में।

 

खेलते बालक भी थे, हैरान उसको देखकर,

आज ही उनको दिखी थी, वो फुदकती बाग में।

 

नस्ल उसकी देश से अब, लुप्त होती जा रही,

बनके रह जाएगी वो, केवल  कहानी बाग में।

 

है नियत उसके लिए अब, एक दिन हर साल का,

ढूँढने आएँगे जब, उसकी निशानी बाग में।

 

जाग रे इंसान, यूँ खोने न दो इस जीव को,

क्या हुआ फिर शोध हों, वो कब दिखी थी बाग में।

 

मौलिक व अप्रकाशित

---कल्पना रामानी

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on May 3, 2013 at 6:52pm

बहुत  बहुत धन्यवाद, प्रदीप जी

सादर  

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 4:51pm

बहुत सही चेतावनी दी है महोदया जी 

ढूँढ़ते रह जाओगे 

सादर बधाई 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 18, 2013 at 7:56am

नस्ल उसकी देश से अब, लुप्त होती जा रही,

बनके रह जाएगी वो, केवल  कहानी बाग में।.................बिलकुल सटीक.

आदरणीया इस सुन्दर गजल पर बहुत बहुत दाद कुबुलें.

Comment by ram shiromani pathak on April 17, 2013 at 12:24pm

आदरणीया कल्पना जी आपने बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है //बचपन की याद ताज़ा हो गयी !!हार्दिक बधाई 

Comment by Yogi Saraswat on April 17, 2013 at 12:05pm

खेलते बालक भी थे, हैरान उसको देखकर,

आज ही उनको दिखी थी, वो फुदकती बाग में।

 

नस्ल उसकी देश से अब, लुप्त होती जा रही,

बनके रह जाएगी वो, केवल  कहानी बाग में।

 

है नियत उसके लिए अब, एक दिन हर साल का,

ढूँढने आएँगे जब, उसकी निशानी बाग में।

सुन्दर अल्फाजों के साथ बहुत सुन्दर भाव हैं  आदरणीय कल्पना जी , आपकी ग़ज़ल में !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
17 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service