For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खोखले नारे उठाए/भागता जाता शहर है (राजेश झा)

काग़जी

सारी कवायद

बोल में

रेशम-तसर है

*गुंजलक में

कै़द वादों

से हकीकत

मुख्‍तसर है

खोखले नारे उठाए ...............

*कर्दमी

लोबान जलते

टापता

दूभर डगर है

बेरूखी

कहती हवा की

फाग कितना

बेअसर है

खोखले नारे उठाए ...............

स्‍तब्‍ध

चंपा, नागकेसर

बर्खास्‍त सेमल

की बहर है

बिलबिलाते

नीम, बरगद

*भवदीय भौंरा

ही निडर है

खोखले नारे उठाए ...............

*मंगला

करता बगावत

रेखता

किसकी उमर है ?

कोठरी की

गुफ्तगू से

रौशनी तो

बेखबर है

खोखले नारे उठाए ...............

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

* गुंजलक - केंचुल के अर्थ में प्रयुक्‍त

* कर्दमी - कालिमा भरे के अर्थ में प्रयुक्‍त

*भवदीय भौंरा - सत्‍ताधीश का बिंब

*मंगला - आम जनता का बिंब

Views: 500

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on March 25, 2013 at 12:16pm

आदरणीय लड़ीवाला जी, रक्‍ताले साहब,नीरज जी एवं राम शिरोमणि जी, अपनी उपस्थिति एवं बहुमूल्‍य प्रतिक्रिया से मान देने के लिए हार्दिक आभार प्रेषित है, सादर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 23, 2013 at 10:12am

*कर्दमी

लोबान जलते

टापता

दूभर डगर है

बेरूखी

कहती हवा की

फाग कितना

बेअसर है

खोखले नारे उठाए ...............बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति भरी श्री राजेश कुमार झा, हार्दिक बधाई स्वीकारे 

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 23, 2013 at 8:29am

स्‍तब्‍ध

चंपा, नागकेसर

बर्खास्‍त सेमल

की बहर है

बिलबिलाते

नीम, बरगद

*भवदीय भौंरा

ही निडर है.......वाह! बहुत खूब आदरणीय राजेश 'मृदु'जी.

Comment by Neeraj Neer on March 22, 2013 at 8:13pm

बहुत सुन्दर रचना, 

सादर

नीरज कुमार 'नीर'

Comment by ram shiromani pathak on March 22, 2013 at 4:27pm

*मंगला

करता बगावत

रेखता

किसकी उमर है ?

कोठरी की

गुफ्तगू से

रौशनी तो

बेखबर है

खोखले नारे उठाए ...............बहोत ही बढ़िया चित्रण किया है बड़े भाई राजेश जी ...हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
16 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  दयावान जी मेधानी, कृपया ध्यान दें कि 1. " ये ज़िन्दगी फ़ज़ूल,  वाक्यांश है,…"
40 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"कोई बात नहीं आदरणीय विकास जी। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह ज़्यादा ज़रूरी है। "
45 minutes ago
Vikas replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हार्दिक आभार आपका महेंद्र कुमार जी। हाल ही में आंख का ऑपरेशन हुआ है। अभी स्क्रीन पर ज़ियादा समय नहीं…"
51 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"अब बेहतर है। बस जगमगाती को जगमगाते कर लें। "
52 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय mahendra kumar जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने वक़्त निकाला ग़ज़ल तक आए उसे सराहा बहुत…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई महेंद्र जी, सादर अभिवादन। गजल पर आपकी उपस्थिति व स्नेह के लिए आभार। आपके सुझाव उत्तम हैं।…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"दिल से आभारी हूँ आदरणीय दयाराम जी. बहुत शुक्रिया. "
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेन्द्र जी. आभारी हूँ. यदि थोड़ा स्पष्ट सुझाव मिल जाता तो बड़ी कृपया होती.…"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. दिल से आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"बहुत शुक्रिया आदरणीया मंजीत कौर जी. आभारी हूँ."
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, सादर अभिवादन! अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. एक जिज्ञासा है, क्या…"
1 hour ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service