For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहा --:ःबम-बम भोलेःः--


तन मन भय रगड़ भसम, सब गण करत बखान!
कण कण सत रज तम रमत,समरथ सकल इशान!!1

चरण कमल रज लख करत,शत शत नमन महेश!
भजत भजन हर हर भवम, भय तज मरम गणेश!!2

सगर-तगड़-तरवर-तरन, हर जन धरत परान!
अलख झलक नर मन समझ,पल क्षण बनत महान!!3

जनत झरत लट पट उड़़त, हलचल अवघड़ जान!
तमस शमन भव भय हरत, सत मन बरगद शान!!4

सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Views: 544

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 16, 2013 at 10:48am

आदरणीय सौरभ पाण्डे.गुरूजी, सुप्रभात!  ‘बिन गुरू ज्ञान कहॅा से पाउॅ‘ सर जी, यह दोहा मैने महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर अनायास ही लिखा है, सर जी मुझे भक्ति में विश्वास औरआस्था है! ‘रगड‘ के स्थान पर ‘रगड़त‘ होना चाहिये  था, जो टाइप त्रुटि है! तथा ‘लख करत‘ का प्रयोग सिर्फ मात्राएं पूर्ण करने के उद्देश्य से किया था, अब नहीं करूंगा!  जी गुरूजी, ‘क्षण‘ के स्थान पर छन ही लिखना चाहिये था किन्तु ‘क्षण‘ से चमक बढ़ गयी पर अब ऐसा नहीं करूंगा! जी सर ‘बरगद मान‘ ही होना चाहिये था, मुझसे गलती हुई है! अन्त में थोड़ा जल्दी हो जाती है जिससे गलती हो ही जाती है! क्षमा चाहता हूं! कृपया इसी तरह  कोई त्रुटि हो तो अवश्य निर्देश देने की कृपा करें आप का सुझाव सिर पर हाथ रखने केसमान है! अतरू आशीष बनाये रखें! कृतज्ञ पूर्ण  बहुत बहुत आभार..!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 12:59am

भाई केवल प्रसाद जी.. . शिल्प के लिहाज से आपने इन दोहों की किसी उद्येश्य से रचना की है या इनकी रचना अनायास हुई है यह प्रतीत नहीं हुआ.

दोहे चारों चरणों को मिलाकर में कुल ४८ मात्राएँ होती हैं.  आपके प्रत्येक दोहों में कुल दो ही गुरु आये हैं और बाकी सभी लघु मात्राएँ हैं. अर्थात्, ४४ लघु और २ गुरु ! 

दोहों के प्रारूपों में ऐसे दोहे श्वान प्रारूप के दोहे कहलाते हैं .. .

अब आपके दोहों पर -

तन मन भय रगड़ भसम, सब गण करत बखान!
कण कण सत रज तम रमत,समरथ सकल इशान!!.. ..इस दोहे के प्रथम विषम में मात्र १२ मात्राएँ हैं अतः दोषयुक्त चरण है यह.

चरण कमल रज लख करत,शत शत नमन महेश!
भजत भजन हर हर भवम, भय तज मरम गणेश!!.. ..  लख करत का प्रयोग उचित नहीं है. लख अपने आपमें पूर्ण क्रिया है. यह दोहा यों शिल्प में सुगढ़ है.

सगर-तगड़-तरवर-तरन, हर जन धरत परान!
अलख झलक नर मन समझ,पल क्षण बनत महान!.. .. बहुत सही.  छंद में प्रयुक्त शब्दों के अनुरूप क्षण को छन लिखना था न ?!

जनत झरत लट पट उड़त, हलचल अवघड़ जान!
तमस शमन भव भय हरत, सत मन बरगद शान!!.. . . . वाह-वाह !  जनत झरत लट पट उड़त.. बहुत सुन्दर ! बरगद शान से बेहतर मान होता. यहाँ मान श्लेष होने से दोहे के शृंगार को बहुगुणित करता.

बधाई इस अभिनव प्रयास पर भाई केवलजी..

Comment by Yogi Saraswat on March 13, 2013 at 2:17pm

सगर-तगड़-तरवर-तरन, हर जन धरत परान!
अलख झलक नर मन समझ,पल क्षण बनत महान!!3

जनत झरत लट पट उड़़त, हलचल अवघड़ जान!
तमस शमन भव भय हरत, सत मन बरगद शान!!4

बम बम भोले , बहुत खूब

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 12, 2013 at 10:20pm

सुन्दर धार्मिक दोहे- हार्दिक बधाई श्री केवल प्रसाद जी 

Comment by ram shiromani pathak on March 12, 2013 at 5:50pm

बहोत ही बढ़िया कहा आपने आदरणीय केवल भाई जी  .....सादर

Comment by रविकर on March 12, 2013 at 4:34pm

हर-हर बम-बम, बम-बम धम-धम |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service