For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

--छन्द --


तन जरत, मन बरत, लगत सर, टप-टप टपकत चलत रकत धर।
हरत न भव-भय मन इरष कर, हर-हर बरषत झरत छपर घर।।
तन क्षरत मन कस न ठगत नर, जल घट भर-भर भरत नगर सर।
तन-मन-धन सब धरन कंत घर,हस-हस मरकर सरग चलत नर।।4
सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाषित रचना

Views: 609

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 10:22am

लर्वल्ध्वक्षर छन्द .. कृपया इस छंद का विधान साझा करें भाई केवल प्रसादजी.  उसके उपरांत ही मैं कुछ कह पाऊँगा.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 16, 2013 at 9:46am

आदरणीय सौरभ पाण्डे-गुरूजी, सुप्रभात! ‘बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ सर जी, यह छन्द मैने 03.04.1991 में लिखा था! इसे ‘लर्वल्ध्वक्षर छन्द‘ में लिखने का प्रयास था! ‘कंत‘ मे चन्द्रबिन्दी समझ कर लगायी है! कृपया कोई त्रुटि हो तो निर्देश देने की कृपा करें और आशीष बनाये रखें! कृतज्ञ पूर्ण बहुत बहुत आभार..!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 16, 2013 at 1:06am

चार पदों में मात्र एक गुरु का प्रयोग.. यह क्या छंद है, इसे स्पष्ट करें ?

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 13, 2013 at 3:48pm

तन-मन-धन सब धरन कंत घर,हस-हस मरकर सरग चलत नर- बहुत सुंदर बधाई केवल सर 

क्षण क्षण घटत वय पग पग सरत,हस हस सरक सरग चल नर -लक्ष्मण प्रसाद 

Comment by Yogi Saraswat on March 13, 2013 at 2:18pm

तन क्षरत मन कस न ठगत नर, जल घट भर-भर भरत नगर सर।
तन-मन-धन सब धरन कंत घर,हस-हस मरकर सरग चलत नर।।4

बहुत खूब

Comment by ram shiromani pathak on March 12, 2013 at 5:50pm

बहोत ही बढ़िया कहा आपने आदरणीय केवल भाई जी  .....सादर

Comment by रविकर on March 12, 2013 at 4:32pm

अजब गजब
पढ़ कर मन हरष हरष कर-
मंगल मंगल
जय जय-

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
23 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
24 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
52 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service