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======ग़ज़ल=======

 

मौसमे गुल से अदावत सीखी

कैसे ढाना है क़यामत सीखी

 

हर कोई चोर नज़र में जिनकी

उनकी नज़रों से नजारत सीखी

 

हम गरीबों के लिए दिल दौलत   

बेच के जिसको तिजारत सीखी

 

उसको हाथी से क्या डराते हो

जिसने चींटी से बगावत सीखी

 

वक़्त से तुम तो हुए संजीदा

हमने बस “दीप” शरारत सीखी

 

संदीप पटेल “दीप”

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Comment by mrs manjari pandey on February 28, 2013 at 11:42pm

    भाई संदीप पटेल जी बड़ी अच्छी ग़ज़ल कही बधाई।

Comment by राजेश 'मृदु' on February 26, 2013 at 11:03am

आपका हर लेखन मुझे पसंद है, आपका आभारी हूं कि अपनी रचना हमतक पहुंचाते है, सादर

Comment by Abhinav Arun on February 26, 2013 at 10:47am

उसको हाथी से क्या डराते हो

जिसने चींटी से बगावत सीखी

  वाह बहुत शानदार शेर संदीप जी पूरी ग़ज़ल के भाव जिंदाबाद हैं हार्दिक बधाई आपको !!

Comment by वीनस केसरी on February 26, 2013 at 12:31am

बहुत खूब भई
आजकल बहुत अच्छा कर रहे हैं आप
ढेरों दाद क़ुबूल फरमाएँ

बस एक शिकायत है कि अब आपसे बहुत जियादा अपेक्षा रहती है उन पर खरे उतरने की भरसक कोशिश किया करें ...

// उसको हाथी से क्या डराते हो //

इस मिसरे पर नज़रे सानी फरमाएँ

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 25, 2013 at 8:47pm

आदरणीय विजय जी , आदरणीय शशि जी ........सादर प्रणाम

सराहना के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by Shashi Mehra on February 25, 2013 at 2:17pm

sundar

Comment by विजय मिश्र on February 25, 2013 at 11:47am

" हर कोई चोर नज़र में जिनकी

  उनकी नज़रों से नजारत सीखी | " ----- दीपजी , सुन्दर बना है .

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 25, 2013 at 8:25am

आदरणीय श्रीराम जी , आदरणीय ब्रिजेश नीरज जी , आदरणीय आशीष भाई जी , आदरणीय गणेश बागी सर जी, आदरणीय विन्ध्येश्वरी जी आप सभी को यथा उचित प्रणाम सहित इस उत्साहवर्धन के लिए ह्रदय से धन्यवाद स्नेह बनाये रखिये

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 24, 2013 at 4:43pm
बहुत ही उम्दा गजल है,आदरणीय संदीप जी!हार्दिक बधाई।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 24, 2013 at 4:06pm

//उसको हाथी से क्या डराते हो

जिसने चींटी से बगावत सीखी//

पूरी ग़ज़ल की जान है यह शेर,बहुत बढ़िया ख्याल संदीप भाई, जिंदाबाद ग़ज़ल, दाद स्वीकार करें । 

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