For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घटना ऐसी घटित हो गयी सुनकर भारत रोया है,
वीर सपूतो को फिर से इस मात्रभूमि ने खोया है.
छल कर गया पड़ोसी उसने अपनी जात दिखा डाली,
सोते सिंहो पर हमला अपनी औकात दिखा डाली.
खून हमारा उबल उठा है पाक तेरी नादानी से,
दिल्ली कैसे सहन कर गयी सोंचू मै हैरानी से.
आज हमारी सहनशक्ति का बाँध तोड़ डाला तूने,
सोये सिंह जगाकर अपना भाग्य फोड़ डाला तूने.
अरे भेंड़िये कायरपन पर बार-बार धिक्कार तुझे,
हिन्दुस्तानी बच्चा-बच्चा देता है ललकार तुझे.
कूटनीति अपनाने वाले फिर निराश हो जायेगा,
अर्जुन का गाण्डीव उठा तो सर्वनाश हो जायेगा.
भगतसिंह के वंसज हम ऐ पाक तुझे बतला देंगे,
फूट-फूटकर रोयेगा तुझको इतना दहला देंगे.
वीर भुजायें फड़क उठी हैं अब तुझको दिखलायेंगे,
दो शीशों के बदले अरि के बीस काट कर लायेंगे.
***********************************************
सी.ए. शैलेन्द्र सिंह "मृदु"

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 16, 2013 at 11:52am

आदरणीय PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA सर सादर प्रणाम  उत्साह वर्धन हेतु कोटि कोटि आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 16, 2013 at 11:51am

आदरणीय सौरभ सर सादर प्रणाम असीम स्नेह एवं उत्साह वर्धन हेतु कोटि कोटि नमन हृद्यित आभार

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on January 13, 2013 at 4:12pm

एक पर सवा लाख लाने होंगे 

बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 13, 2013 at 3:32pm

वीररस की एक अत्यंत ओजस्वी और गेयता की अजस्र धारा में अबाध प्रवहमान कविता के लिए बार-बार बधाई, मृदुजी.

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 10:39pm

आदरणीय बागी सर उत्साहवर्धन एवं सराहना हेतु कोटिशः नमन व बहुत बहुत आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 10:36pm
आदरणीय Laxman Prasad Ladiwala सर सराहना हेतु आपका बहुत बहुत आभार

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 12, 2013 at 8:06pm

समसामयिक घटनाओं के क्रम मे आपकी रचना बहुत ही सार्थक बन पड़ी है, सुन्दर रचना, इस अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करें |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 12, 2013 at 2:55pm
बहुत जोश भी कविता के लिए हार्दिक बधाई श्री शैलेन्द्र सिंह म्रदु जी 
इस देश में तो -
जर्रा जर्रा अंगारा है, बच्चा बच्चा सूरज है 
ललकारा है आज तिमित ने बस इतना ही अजरज है 
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 12:48pm

आदरणीया प्राची मैम उत्साहवर्धन हेतु कोटिशः आभार नमन


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 12, 2013 at 12:39pm

वाह! बहुत जोश भरी, वीर रस से पगी, इस आक्रोश भरी रचना के लिए ह्रदय से बहुत बहुत बधाई प्रिय शैलेन्द्र सिंह जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी आदरणीय सम्मानित तिलक राज जी आपकी बात से मैं तो सहमत हूँ पर आपका मंच ही उसके विपरीत है 100 वें…"
6 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इसी विश्व के महान मंच के महान से भी महान सदस्य 100 वें आयोजन में वही सब शब्द प्रयोग करते नज़र आ…"
10 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मैं यह समझ नहीं पा रहा हूँ कि आपको यह कहने की आवश्यकता क् पड़ी कि ''इस मंच पर मौजूद सभी…"
21 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें!…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी, सादर आभार।"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service