For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

व्यस्त फुटपाथ की तपती फर्श पर ,
तपती धूप की किरणों से ,
जलते शरीर से बेखबर,
मक्खियों की भीड़ से बेअसर ,
फटे-गंदे कपड़ो से लिपटे
भूखे पेट, एक माँ बच्ची के साथ
बेसुध सो रही ...
कही सामाजिक अव्यवस्था तो..
कही नियति ही सही,
पर मनुष्य के कष्ट सहने के शक्ति की
कोई सीमा भी तो नहीं !!! अन्वेषा

Views: 543

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anwesha Anjushree on December 15, 2012 at 4:13pm

Seema Madam, Vinus kesari ji, Jawahar Lal ji, Arun ji, Ajay Ji ewam Rajesh madam....mujhe behad khushi hai aap logo ne mujhe sweekara hai....bahut pahle ak baar aaye thi yaha...phir ab laut aayi hu :) Asha hai meri kavitayen aapko pasand aayegi...Abhar

Seema Ji, Sourabh ji...mujhe aap ke sujhav pasand hai...par "jhund" ak samanya shabd hai..."bheed" shabd kasht ka anubhav deta hai.......esliye maine uska prayog kiya tha....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2012 at 3:32pm

एक मार्मिक द्रश्य पर  संवेदनात्मक भावों  को शब्दबद्ध  करती क्षणिका सच में माँ की सहनशक्ति की कोई सीमा नहीं बधाई इस क्षणिका पर अन्वेषा जी 

Comment by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 1:59pm

Adarniya anwesha ji samjik bismtao ka aapne marmik chitran kiya he besak aap badhai ki hakdar he jo me aapko somp raha hu

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 15, 2012 at 11:21am

बेहद मार्मिक व संवेदनशील रचना मानों हर एक पंक्ति यूँ सामने खड़ी होकर सच बोल रही हों

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 15, 2012 at 7:27am

आदरणीय अन्वेषा जी, सादर अभिवादन!

निश्चित ही एक माँ के सहनशक्ति कोई सीमा नहीं! आपकी सम्वेदना को दर्शाती रचना! बधाई स्वीकारें!

Comment by वीनस केसरी on December 15, 2012 at 3:04am

जैसे रचना सचरित्र सजीव हो उठी हो .....
जैसे ठंढक़ वाली यह आधी रात मई की धूप भरी दोपहर बन गई हो
जैसे कोई औरत संवेदनहीन नज़रों से घूर रही हो
जैसे उसकी नज़र पूछती हो ....

मनुष्य के कष्ट सहने के शक्ति की कोई सीमा भी तो नहीं !!!

Comment by seema agrawal on December 15, 2012 at 12:25am

 एक शब्द चित्र जो कठोर यथार्थ से उपजा है ....आपकी संवेदनशीलता को भी दर्शाता है ....बहुत बहुत बधाई सफल अभिव्यक्ति के लिए अन्वेषा जी 
सौरभ जी की बात से मैं भी सहमत हूँ 

Comment by Anwesha Anjushree on December 14, 2012 at 8:21pm

Saurabh Pandey ji....Prachi Singh Ji..aap dono ka phir se shukriya..Saurabh ji...aapke sujhav sweekar....aur bhawisya me unki pratiksha bhi rahegi...

Chattani Ji...aap ka bhi bahut bahut abhar...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 14, 2012 at 7:41pm

क्षणिका सदृश भाव उमगे और आपने शब्दबद्ध कर लिया. अच्छी अभिव्यक्त.

मक्खियों की भीड़  .. का कौतुक रोचक तो लगा किन्तु मक्खियों के झुंड ही उचित रहता. वैसे यह निजी विचार हैं. कोई दवाब नहीं, न कोई सुझाव.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 14, 2012 at 6:32pm

प्रिय अन्वेषा जी,

आपके संवेदी ह्रदय नें जिस कष्टकारी स्थिति से ग्रस्त एक माँ की सहनशक्ति को शब्द चित्र में उकेरा है, उस संवेदनशीलता के लिए आपको साधुवाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
47 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई। गौरैया के झुंड का, सुंदर सा संसार…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post यह धर्म युद्ध है
"आदरणीय अमन सिन्हा जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"वाह वाह वाह... क्या ही खूब शृंगार का रसास्वाद कराया है। बहुत बढ़िया दोहे हुए है। आखिरी दोहे ने तो…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी, बहुत शानदार गीत हुआ है। तल्ला और कल्ला ने मुग्ध कर दिया। जो पेड़ों को काटे…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आपकी ज़िंदगी ओबीओ  मेरी भी आशिकी ओबीओ  इस समर में फले कुछ समर ऐ समर ये खुशी…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया प्रस्तुति। हार्दिक बधाई। आख़री दोहे में  गोल गोल ये रोटियां,…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, मयखाने से बढ़िया दोहे लेकर आए हैं। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आदरणीय सुशील सरना जी बहुत बढ़िया दोहा छंद की प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें। इस दोहे…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service