For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निज मकान प्राप्त करे,कर कर्जे का भार, 

क्रेडिट कार्ड से भी ले,अब आसान उधार।

  

क्रेडिट कार्ड बोझ तले,नित दबता ही जाय ,

इस जंजाल में फँसकर, डूबता चला जाय । 

 

जब तक जीना है हमें, ऐश करे सब आप,

दिल दुखे क्या लाभ मिले,दिल दुखाना पाप ।

 

जीना अब आसान कर,ले उधार का साथ,

मरना जीना चक्र है, साँस प्रभु के हाथ । 

 

आत्महत्या चाह करे, बढे उधारी चीर,

बढे उधारी चीर सी, बढे साँस की पीर । 

 

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला   

Views: 475

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2012 at 7:26pm

प्राप्त को मै प्रापत  स्वर में 211 गिनने की भूल कर रहा था ।मात्रा गिनने में सावधानी बरतने का प्रयास करना होगा । सावचेत करने के लिए आभार आदरणीय श्री गणेश जी बागी जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2012 at 6:11pm

सराहना करने के लिए सादर आभार श्री संदीप कुमार पटेल जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2012 at 6:10pm

,सादर आभार श्री राजेश कुमार झा 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 12, 2012 at 5:56pm

बहुत सुन्दर प्रयास सर जी
आपके इस प्रयास को सादर प्रणाम

Comment by राजेश 'मृदु' on December 12, 2012 at 5:39pm

सबसे अच्‍छी बात यह है कि आदरणीय लडिवाला जी सतत प्रयत्‍नशील रहते हैं और प्रयत्‍न करते रहना ही सबसे बड़ी बात है, चलते रहिए हुजूर हम आपके साथ चलेंगें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 12, 2012 at 3:48pm

आदरणीय लडिवाला जी, आप स्वयम गिनती कर कही १४ कही १० गिन रहे हैं, इसे क्या कहे ? जानबूझकर गलत गिने हैं ?

निज मकान प्राप्त करे

११    १२१     २१    १२ = १२ १४

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 12, 2012 at 2:06pm

आदरणीय बागी जी आपका निर्देशानुसार और मेरी समझ अनुसार मै मात्रा गणना कर अंकित कर रहा हूँ -, ताकि 

शंका समाधान हो सिखने को मिले - कृपया में 112 कुल 4 

निज मकान प्राप्त करे,कर कर्जे का भार, 

11  12 1  2 1 1 1 2, 11 2 2 2  2 1   = 14, 11

क्रेडिट कार्ड से भी ले,अब आसान उधार।

 211 2 1   2  2  2, 11  2 2 1  121  =  13,11

क्रेडिट कार्ड बोझ तले,नित दबता ही जाय ,

211   21    21 12,  11  112   2  21 = 13,11

इस जंजाल में फँसकर, डूबता चला जाय । 

 11 221   2  1111 ,   212  12  21   =  13, 11

जब तक जीना है हमें, ऐश करे सब आप, = 13, 11

दिल दुखे क्या लाभ मिले,दिल दुखाना पाप ।

 11  12  2   21   12,   11 122   21  =  13,10

जीना अब आसान कर,ले उधार का साथ,  =13, 11

मरना जीना चक्र है, साँस प्रभु के हाथ । 

112  22   111 2,  21  11  2  21   =   = 13, 10

आत्महत्या चाह करे, बढे उधारी चीर,

2 1 2 2    2 1  1 2,  12 122  2 1  =  13, 11

बढे उधारी चीर सी, बढे साँस की पीर । = 13, 11

परीक्षा फल की प्रतीक्षा में सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 12, 2012 at 12:31pm

आदरणीय लक्ष्मण जी, दोहे कृपया जल्दबाजी में ना लिखें ...सादर.

Comment by वीनस केसरी on December 12, 2012 at 2:04am

छन्द के प्रति आपकी रूचि एक न एक दिन गुल जरूर खिलायेगी, बस अब तो यही चाहत है कि वह दिन जल्दी से जल्दी आए
शुभकामनाएं


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 11, 2012 at 10:19pm

आदरणीय लडिवाला जी, आपने दोहा ही रचा है ना ? यदि हां तो एक बार सभी दोहों की मात्रा गिनके यहाँ पोस्ट करें ...उदाहरण स्वरुप ...कृपया ? की जगह मात्रा की संख्या लिखें

निज मकान प्राप्त करे= ? कर कर्जे का भार=?

क्रेडिट कार्ड से भी ले=? अब आसान उधार=?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
22 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service