For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरे पास नहीं
बूढ़े बरगद सी बाहें
फैलाकर
जिन्हें अनवरत 
बांट सकूं 
छांह
धरती को चीरती 
विकराल  जड़ें -
गहराइयों  की
लेती जो थाह  
पास नहीं मेरे
पीपल का जादुई
संगीत
वो  हरी- भरी
काया ,
वह पत्तों का
मर्मर  गीत 
कोई न
पूजे मुझको 
पीपल, बरगद
के मानिंद
कंटकों से
पट गयी है 
देह ऐसे-
निकट आते
हैं नहीं
खग वृन्द
मरुथली संसार में
रेत के विस्तार में
जल रहा कण कण जहाँ 
कुंठित जीवन जहाँ
वहां वनस्पतियों को  -
होना ही
पड़ता  है
नागफनी!

Views: 719

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vinita Shukla on October 16, 2012 at 2:11pm

बहुत बहुत धन्यवाद आ. अविनाश जी.

Comment by AVINASH S BAGDE on October 16, 2012 at 11:35am

मरुथली संसार में 
रेत के विस्तार में 
जल रहा कण कण जहाँ 
कुंठित जीवन जहाँ 
वहां वनस्पतियों को  -
होना ही 
पड़ता  है 
नागफनी! ...bahut khoob..Vinita Shukla ji

Comment by Vinita Shukla on October 15, 2012 at 2:20pm

कोटिशः धन्यवाद राजेश जी,

Comment by राजेश 'मृदु' on October 15, 2012 at 1:15pm

आपकी इस सुंदर रचना पर हार्दिक बधाई

Comment by Vinita Shukla on October 15, 2012 at 11:47am

आदरणीय सौरभ जी, सराहना एवं मार्गदर्शन के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद ,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 15, 2012 at 9:03am

विनीताजी, बहुत खूब ! क्या ही सुन्दर संप्रेषण ! आपकी संवेदनशील रचना को हृदय से बधाई कह रहा हूँ !

कविता की आखिरी पंक्तियाँ आवश्यकतानुसार भाव-विस्फोट का बहुत सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं.

फिरभी, आपकी सहमति से मैं उन पंक्तियों को पुनः प्रस्तुत करूँ तो --

वहां वनस्पतियाँ... . 
आखिर हो ही जाती हैं 
नागफनी !

Comment by Vinita Shukla on October 15, 2012 at 8:45am

कोटिशः धन्यवाद रेखा जी.

Comment by Rekha Joshi on October 14, 2012 at 10:16pm

मरुथली संसार में 
रेत के विस्तार में 
जल रहा कण कण जहाँ 
कुंठित जीवन जहाँ 
वहां वनस्पतियों को  -
होना ही 
पड़ता  है 
नागफनी! ,बहुत खूबसूरत रचना विनीता जी ,हार्दिक बधाई  

Comment by Vinita Shukla on October 14, 2012 at 10:07pm

हार्दिक आभार सीमा जी.

Comment by Vinita Shukla on October 14, 2012 at 10:06pm

अनेकानेक धन्यवाद राजेश कुमारी जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"जी सहृदय शुक्रिया आदरणीय इस मंच के और अहम नियम से अवगत कराने के लिए"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आपका सुधार श्लाघनीय है। सादर"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय इस मंच पर न कोई उस्ताद है न कोई शागिर्द। यहां सभी समवेत भाव से सीख रहे हैं। यहां गुरु चेला…"
3 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई आदरणीय रिचा जी बधाई स्वीकार करें"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service